Himachal News: मनाली पुलिस ने पशु तस्करी का एक बड़ा मामला उजागर किया है। थाना मनाली क्षेत्र में एक ट्रक में पराली के नीचे छिपाकर ले जाए जा रहे ग्यारह मवेशियों को बरामद किया गया। इनमें पांच गाय और छह बैल शामिल थे। सभी जानवरों के नाक में नुकेल कसी हुई थी।
पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। एफआईआर नंबर 177/2025 दर्ज की गई है। यह मामला पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 और एचपी प्रोहिबिशन ऑफ काउ स्लॉटर एक्ट 1979 के तहत दर्ज किया गया है। जांच में पता चला कि आरोपी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले हैं।
घटना का अनावरण
यह घटना बुधवार सुबह तब सामने आई जब एक ट्रक राइडर कैफे के समीप पहुंचा। ट्रक चालक का वाहन पर नियंत्रण खो गया और वह सड़क किनारे पत्थरों के बीच फंस गया। राइडर कैफे में तैनात कर्मचारी मनोहर लाल ने लोगों को रेस्क्यू के लिए बुलाया।
तभी उन्होंने देखा कि ट्रक में सवार दो व्यक्ति लोगों को अपनी तरफ आता देख वाहन से निकलकर भागने लगे। संदेह के आधार पर जब ट्रक का तिरपाल उठाकर देखा गया तो अंदर पांच बैल और तीन गाय मौजूद थे। स्थानीय लोगों ने भागते हुए व्यक्तियों को पकड़ लिया।
गिरफ्तार आरोपी
पुलिस अधीक्षक डॉ कार्तिकेयन ने बताया कि शिकायतकर्ता मनोहर लाल के बयान पर मामला दर्ज किया गया। आरोपी सोनू पुत्र इरफान गांव डाकघर नाकुड, सहारनपुर उत्तर प्रदेश और मोहम्मद आसिफ पुत्र मोहम्मद याकुब, मोहल्ला नदीम कलोनी थाना मण्डी सहारनपुर उत्तर प्रदेश को गिरफ्तार किया गया।
दोनों आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामले की जांच सब इंस्पेक्टर शशांक चौहान द्वारा शुरू कर दी गई है। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है। बरामद मवेशियों को उचित देखभाल की व्यवस्था की गई है।
कानूनी प्रावधान
इस मामले में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा 11 लागू की गई है। यह अधिनियम पशुओं के प्रति क्रूरता को गंभीर अपराध मानता है। एचपी प्रोहिबिशन ऑफ काउ स्लॉटर एक्ट 1979 की धारा 8 भी लागू की गई है। यह कानून हिमाचल प्रदेश में गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाता है।
पशु क्रूरता के मामले में दोषी पाए जाने पर पांच साल तक की कैद की सजा का प्रावधान है। जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है। पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 में पशुओं के उत्पीड़न को रोकने के लिए कई प्रावधान शामिल हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 429 भी इस तरह के मामलों में लागू होती है।
पशु कल्याण संबंधी पहल
हिमाचल प्रदेश सरकार ने बेसहारा पशुओं की समस्या के समाधान के लिए कदम उठाए हैं। पशुपालन विभाग द्वारा पशु जनगणना का कार्य अंतिम चरण में है। सरकार गौशालाओं को पशुओं के भरण पोषण के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध करा रही है।
पालमपुर में आईवीएफ प्रयोगशाला स्थापित की गई है। इससे पशुओं की प्रजनन क्षमता में सुधार होगा। सरकार का लक्ष्य पशुपालकों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करना है। दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है। कांगड़ा जिले में दूध प्रसंस्करण केंद्र स्थापित किया जा रहा है।
तस्करी के तरीके
पशु तस्कर अक्सर मवेशियों को ट्रकों और वैन में छिपाकर ले जाते हैं। वे पराली या अन्य सामग्री से जानवरों को ढक देते हैं। जानवरों के नाक में नुकेल कस दी जाती है ताकि वे आवाज न कर सकें। तस्कर रात के अंधेरे का फायदा उठाते हैं। वे दूरदराज के रास्तों से होकर गुजरते हैं।
पुलिस की नाकाबंदी और स्थानीय लोगों की सजगता से कई मामलों में तस्करी रुकती है। हिमाचल प्रदेश पुलिस ने पशु तस्करी रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई शुरू की है। नियमित गश्त और चौकियां लगाई जा रही हैं। स्थानीय निवासियों से सहयोग मांगा गया है।
भविष्य की कार्रवाई
पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है। आरोपियों के कनेक्शन अन्य तस्करी नेटवर्क से जोड़े जा रहे हैं। बरामद मवेशियों को चारा और पानी उपलब्ध कराया गया है। पशु चिकित्सक द्वारा उनकी जांच की गई है। मवेशियों को अस्थायी आश्रय स्थल पर रखा गया है।
पुलिस अन्य संभावित आरोपियों की तलाश कर रही है। तस्करी के मार्ग और गंतव्य स्थान का पता लगाया जा रहा है। राज्य सरकार ने पशु कल्याण के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। पशुपालकों को सीधे वित्तीय सहायता दी जा रही है। पशु आश्रय स्थलों का विस्तार किया जा रहा है।
