India News: एक नए अध्ययन में दुनिया भर में बाल मृत्यु दर पर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. 2023 में करीब 10 लाख बच्चों ने 5 साल की उम्र पूरी करने से पहले ही दम तोड़ दिया. ‘बच्चों के विकास में विफलता’ इन मौतों का मुख्य कारण बनी. यह विफलता कुपोषण, कम वजन, ठिगनापन और कमजोरी जैसे कारकों से जुड़ी है. इस गंभीर सूची में भारत दूसरे स्थान पर है, जहाँ 1 लाख से अधिक मौतें दर्ज की गईं.
नाइजीरिया सबसे आगे, विकास विफलता का असर
‘द लैंसेट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ जर्नल’ में ये निष्कर्ष प्रकाशित हुए हैं. विश्लेषण के लिए ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ स्टडी 2023’ के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया. रिपोर्ट के अनुसार, 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत की सबसे अधिक संख्या नाइजीरिया में थी (1,88,000). भारत इस मामले में दूसरे स्थान पर रहा, जबकि कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य 50,000 से अधिक मौतों के साथ तीसरे स्थान पर था.
इन बीमारियों का खतरा बढ़ा
‘बाल विकास विफलता’ से कई बीमारियों से मृत्यु और दिव्यांगता का जोखिम काफी बढ़ जाता है. इसमें निचले श्वसन तंत्र (एलआरटीआई) के संक्रमण, पेचिश संबंधी रोग, मलेरिया और खसरा जैसी बीमारियाँ शामिल हैं. एलआरटीआई एक ऐसा संक्रमण है जो श्वासनली से नीचे फेफड़ों तक के वायुमार्ग को सीधे प्रभावित करता है.
वैश्विक गिरावट पर क्षेत्रीय असमानता
वैश्विक स्तर पर बच्चों के विकास को प्रभावित करने वाले कारकों से होने वाली मौतों में कमी आई है. 2000 में यह संख्या 27.5 लाख थी, जो 2023 में घटकर लगभग 8 लाख रह गई. हालांकि, क्षेत्रीय असमानता बनी हुई है. उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया अब भी सबसे गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव झेल रहे हैं. यहाँ कुपोषण एक बड़ी चुनौती है.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉशिंगटन के प्रोफेसर बॉबी रीनर ने इन मौतों पर टिप्पणी की. उन्होंने बताया कि बच्चों के विकास में विफलता के पीछे कई जटिल कारण होते हैं. इनमें खाद्य असुरक्षा, स्वच्छता की कमी, जलवायु परिवर्तन और युद्ध जैसी स्थितियां भी शामिल हैं. कुपोषण एक संचयी समस्या है जिसके कई कारक हैं.
