Maharashtra News: विशेष एनआईए कोर्ट ने मालेगांव ब्लास्ट मामले में 17 साल बाद फैसला सुनाया। 29 सितंबर 2008 को मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में हुए विस्फोट में छह लोग मारे गए। प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सात आरोपियों को बरी कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि एनआईए आरोप साबित करने में नाकाम रही। फैसले के बाद सियासी बयानबाजी तेज हो गई है।
ओवैसी ने फैसले पर उठाए सवाल
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मालेगांव ब्लास्ट फैसले को निराशाजनक बताया। उन्होंने कहा कि विस्फोट में छह नमाजी मारे गए और 95 लोग घायल हुए। ओवैसी ने एनआईए पर जानबूझकर कमजोर जांच का आरोप लगाया। उन्होंने पूछा कि क्या केंद्र और महाराष्ट्र सरकार इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगी? ओवैसी ने 2016 में एनआईए की तत्कालीन अभियोजक के बयान का हवाला दिया, जिसमें प्रज्ञा को बरी करने की कोशिश का दावा था।
भाजपा नेताओं का कांग्रेस पर हमला
भाजपा नेता केशव प्रसाद मौर्य ने मालेगांव ब्लास्ट फैसले की सराहना की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का भगवा आतंकवाद का नैरेटिव ध्वस्त हो गया। मौर्य ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने हिंदुओं को बदनाम किया। शिवसेना सांसद नरेश म्हस्के ने इसे सच्चाई की जीत बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हिंदू आतंकवाद का झूठा नैरेटिव बनाया। 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रज्ञा ठाकुर को जमानत दी थी।
सियासी बयानबाजी तेज
ओवैसी ने कहा कि मालेगांव ब्लास्ट में मारे गए लोगों को इंसाफ नहीं मिला। उन्होंने पूछा कि क्या एनआईए और एटीएस की कमजोर जांच की जवाबदेही तय होगी? दूसरी ओर, भाजपा ने फैसले को सही ठहराया। मौर्य ने कहा कि कांग्रेस ने हिंदुओं पर झूठे आरोप लगाए। म्हस्के ने दावा किया कि एटीएस ने दबाव में गलत बयान लिए। यह मामला अब सियासी बहस का केंद्र बन गया है।
