Himachal News: हिमाचल प्रदेश की जीएसटी जांच टीम ने बड़ी धोखाधड़ी का भंडाफोड़ किया है। साउथ जोन जीएसटी विंग परवाणू ने 941.39 करोड़ रुपये के फर्जी बिल पकड़े हैं। साथ ही 170 करोड़ रुपये की कर चोरी को भी रोका गया है। यह धोखाधड़ी कई जिलों में फैली हुई पाई गई है। अधिकारियों ने धोखेबाजों की एक श्रृंखला को पकड़ा है जिन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता टूल्स का दुरुपयोग किया।
धोखाधड़ी का पता लगाने वाले जिले
जांच मेंसिरमौर, शिमला, सोलन और किन्नौर जिले शामिल पाए गए। इन जिलों में फर्जी बिजनेस इकाइयों का पता चला है। ये इकाइयां बिना उचित पहचान के जीएसटीआइएन पंजीकरण करवा रही थीं। शिमला और सोलन के अंदरूनी इलाकों में यह गतिविधि अधिक पाई गई। ऊना जिले में भी धोखेबाजों की एक श्रृंखला मिली है। इन सभी क्षेत्रों में व्यापक जांच अभियान चलाया गया।
धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल की गई तकनीक
धोखेबाजोंने एआइ टूल्स का उपयोग करके दस्तावेजों में छेड़छाड़ की। बिजली बिल, आधार कार्ड और पैन कार्ड जैसे दस्तावेज बनाए गए। किराये के एग्रीमेंट और सहमति पत्र भी फर्जी पाए गए। ई-स्टांप पेपर में भी बदलाव किए गए थे। मोबाइल फोन नंबर भी फर्जी तरीके से अपलोड किए गए थे। यह सब बिना पहचान के जीएसटी पंजीकरण प्राप्त करने के लिए किया गया।
अनजान लोगों के दस्तावेजों का दुरुपयोग
जांच मेंपता चला कि आधार कार्ड और मोबाइल नंबर सफाई कर्मचारियों के थे। माली और घरेलू नौकरों के दस्तावेज भी इस्तेमाल किए गए। इन लोगों को अपने दस्तावेजों के दुरुपयोग की जानकारी नहीं थी। उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि उनके नाम पर बड़ा व्यापार चल रहा है। मकान मालिक भी अपने परिसर में चल रहे व्यवसाय के बारे में अनजान पाए गए।
राज्यों के बीच व्यापार का फर्जी पैटर्न
धोखाधड़ीकरने वाले टैक्सपेयर्स तेलंगाना, राजस्थान और कर्नाटक से व्यापार कर रहे थे। इन्होंने दक्षिणी राज्यों के बैंक खातों का इस्तेमाल किया। लगभग 90 प्रतिशत बिक्री हिमाचल से इन राज्यों में दिखाई गई थी। यह पैटर्न कर चोरी को छुपाने के लिए बनाया गया था। क्रेडिट लेजर में फर्जी दावे किए गए थे जो आइटीसी में उपलब्ध थे।
जांच टीम द्वारा की गई कार्रवाई
जीएसटीविंग की टीम ने फर्जी बिल जमा करने के बाद जीएसटी रद कर दी है। फर्जी क्लेम को ब्लॉक कर दिया गया है। नौ टैक्सपेयर्स की पहचान की गई है जिनमें से पांच शिमला से हैं। तीन टैक्सपेयर्स सोलन जिले से और एक ऊना जिले से पाया गया। सिरमौर जिले में भी इसी तरह की कार्रवाई जारी है। अधिकारी और संदिग्ध इकाइयों की जांच कर रहे हैं।
जांच अधिकारियों का बयान
जीएसटीविंग साउथ जोन परवाणू के संयुक्त आयुक्त जीडी ठाकुर ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मकान मालिक अपने परिसर में चल रहे व्यवसाय के बारे में अनजान थे। छह महीने में हुए बड़े व्यापार कारोबार की उन्हें जानकारी नहीं थी। दस्तावेजों में दुरुपयोग किए गए लोगों को भी कोई जानकारी नहीं थी। यह धोखाधड़ी संगठित तरीके से की जा रही थी।
कर चोरी रोकने के उपाय
अधिकारीइस तरह की धोखाधड़ी रोकने के लिए कदम उठा रहे हैं। दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया को और सख्त बनाया जा रहा है। तकनीकी उपकरणों का उपयोग बढ़ाया जा रहा है। संदिग्ध लेनदेन पर नजर रखी जा रही है। विभिन्न राज्यों की जांच एजेंसियां आपस में समन्वय बढ़ा रही हैं। इससे भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी को रोकने में मदद मिलेगी।
धोखाधड़ी के आर्थिक प्रभाव
इस तरह कीकर धोखाधड़ी से सरकार को भारी राजस्व की हानि होती है। यह ईमानदार करदाताओं पर भी असर डालती है। बाजार में अनुचित प्रतिस्पर्धा पैदा होती है। देश की अर्थव्यवस्था पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे मामले वित्तीय अनियमितताओं को बढ़ावा देते हैं। इन्हें रोकना सरकार और प्रशासन की प्राथमिकता है।
भविष्य की जांच की योजना
जीएसटीविंग इस मामले में और गहन जांच करेगी। अन्य संभावित धोखेबाज इकाइयों की पहचान की जाएगी। बैंक लेनदेन और वित्तीय रिकॉर्ड की जांच की जाएगी। राज्यों के बीच समन्वय से और मामले सामने आ सकते हैं। प्रौद्योगिकी का उपयोग करके ऐसे नेटवर्क का पता लगाया जाएगा। यह कार्रवाई कर चोरी रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
