Delhi News: चुनाव आयोग ने नियमों का उल्लंघन करने वाले 474 राजनीतिक दलों को अपनी सूची से हटा दिया है। यह एक बड़ी कार्रवाई है, जो देश के चुनावी माहौल को सुधारने के लिए की गई है। इन दलों ने लगातार छह वर्षों तक किसी भी चुनाव में भाग नहीं लिया था। इस तरह के निष्क्रिय दलों को सूची से हटाने का यह कदम चुनाव आयोग द्वारा चुनावी सुधारों की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह पारदर्शिता बढ़ाने की एक पहल है।
इन दलों पर गाज इसलिए गिरी, क्योंकि वे कई मानदंडों को पूरा नहीं कर रहे थे। पिछले छह वर्षों से ये दल निष्क्रिय बने हुए थे। वे चुनाव से भी दूर थे। चुनाव आयोग ने इन दलों को नोटिस जारी किया था। इसके बावजूद उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद आयोग ने यह सख्त कदम उठाया। यह कार्रवाई एक योजनाबद्ध तरीके से की जा रही है। इसका मकसद चुनावी प्रक्रिया को साफ-सुथरा बनाना है।
इस प्रक्रिया का पहला चरण अगस्त में पूरा हुआ था। उस समय चुनाव आयोग ने 334 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) को सूची से हटाया था। अब दूसरे चरण में 474 और दलों को हटाया गया है। इन दोनों चरणों में कुल 808 आरयूपीपी को सूची से बाहर कर दिया गया है। यह आंकड़ा बताता है कि ऐसे निष्क्रिय दलों की संख्या काफी ज्यादा थी।
आयोग का यह कदम जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत आता है। इस अधिनियम के नियमों के अनुसार, राजनीतिक दलों को कुछ मानदंडों का पालन करना अनिवार्य होता है। इसमें समय पर वित्तीय रिपोर्ट जमा करना और चुनाव में भाग लेना शामिल है। जो दल इन नियमों का पालन नहीं करते, उन्हें सूची से हटाया जा सकता है। यह कार्रवाई कानून के दायरे में की गई है।
चुनाव आयोग ने बताया कि इस कार्रवाई के बाद देश में कुल आरयूपीपी की संख्या घट गई है। अब 2,046 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दल बचे हैं। इसके अलावा छह राष्ट्रीय दल और 67 राज्य स्तरीय दल भी हैं। आयोग का कहना है कि यह एक सतत प्रक्रिया है। आगे भी ऐसे निष्क्रिय दलों की पहचान कर उन पर कार्रवाई की जा सकती है।
यह कार्रवाई चुनाव आयोग के लिए एक बड़ी चुनौती थी। इन दलों की पहचान करना और उन पर नियम के अनुसार कार्रवाई करना एक जटिल कार्य है। आयोग ने कई स्तरों पर जांच की। उसने राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से भी जानकारी ली। सभी जरूरी प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद ही यह निर्णय लिया गया है। यह कदम चुनाव प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाता है।
राजनीतिक दलों की यह छंटनी मतदाताओं के लिए भी फायदेमंद है। चुनाव के समय मतपत्रों पर कई दलों के नाम होते हैं। इससे मतदाता भ्रमित हो सकते हैं। निष्क्रिय दलों को हटाने से मतपत्रों पर दलों की संख्या कम हो जाएगी। इससे मतदान प्रक्रिया और भी आसान हो जाएगी। यह मतदाताओं के लिए भी एक सकारात्मक बदलाव है।
निष्क्रिय दलों को हटाने का एक और बड़ा फायदा है। ये दल अक्सर राजनीतिक फंडिंग के नियमों का उल्लंघन करते हैं। कुछ दल सिर्फ चंदा लेने के लिए ही पंजीकृत होते हैं। वे चुनाव नहीं लड़ते। इस कार्रवाई से ऐसे फर्जी दलों पर भी लगाम लगेगी। चुनाव आयोग इन मामलों की जांच करता रहा है। यह एक सख्त और जरूरी कदम है।
चुनाव आयोग का यह फैसला यह भी दिखाता है कि वह चुनावी सुधारों को लेकर गंभीर है। आयोग समय-समय पर नियम बनाता और लागू करता है। इसका मकसद भारत के लोकतंत्र को मजबूत करना है। यह कार्रवाई इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आयोग का प्रयास है कि सिर्फ सक्रिय और जिम्मेदार दल ही सूची में रहें।
यह कार्रवाई भविष्य के लिए भी एक संदेश है। अब सभी पंजीकृत राजनीतिक दलों को सतर्क रहना होगा। उन्हें नियमों का पालन करना होगा। अन्यथा उन पर भी कार्रवाई हो सकती है। यह संदेश साफ है कि निष्क्रियता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चुनाव आयोग अपने अधिकार क्षेत्र का पूरा इस्तेमाल कर रहा है।
इस कदम से चुनाव आयोग की पारदर्शिता भी बढ़ी है। लोग अब आयोग के कामों पर ज्यादा भरोसा कर सकते हैं। यह कदम यह भी बताता है कि आयोग किसी भी दल के साथ भेदभाव नहीं करता। नियम सभी के लिए समान हैं। नियमों का पालन न करने पर सभी पर कार्रवाई होगी। यह निष्पक्षता का एक उदाहरण है।
हाल के वर्षों में चुनाव आयोग ने कई सुधार किए हैं। यह कार्रवाई उसी का एक हिस्सा है। आयोग ने कई बार राजनीतिक दलों से कहा है कि वे अपनी रिपोर्ट समय पर जमा करें। उन्होंने कई बार उनसे अपनी गतिविधियों के बारे में जानकारी मांगी है। मगर कई दलों ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
यह कार्रवाई उन दलों के लिए भी सबक है जो चुनाव नहीं लड़ते, लेकिन नियमों का फायदा उठाते हैं। चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि वह ऐसे दलों को बर्दाश्त नहीं करेगा। यह फैसला राजनीतिक प्रणाली को साफ करने में मदद करेगा। यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक अच्छी खबर है।
इस कदम का प्रभाव आने वाले चुनावों में भी दिखेगा। कम दलों के कारण चुनाव प्रक्रिया ज्यादा सुचारू होगी। इससे आयोग का काम भी आसान होगा। यह एक दीर्घकालिक सुधार है। यह प्रक्रिया आगे भी जारी रह सकती है। चुनाव आयोग इस पर लगातार नजर रख रहा है।
यह एक व्यापक अभियान का हिस्सा है। चुनाव आयोग कई सालों से इस पर काम कर रहा था। पहले भी कई दलों को हटाया गया है। लेकिन इतनी बड़ी संख्या में पहली बार हटाया गया है। यह आंकड़ा दिखाता है कि ऐसे दलों की संख्या बहुत ज्यादा थी। यह एक जरूरी सफाई है।
