National News: तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने लोकपाल के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। लोकपाल ने नकद-के-लिए-प्रश्न मामले में सीबीआई को आरोपपत्र दायर करने की अनुमति दी थी। न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने मामले की सुनवाई 21 नवंबर के लिए स्थगित कर दी। अदालत ने कहा कि सीलबंद लिफाफे में पेश आदेश को पढ़ने के लिए समय चाहिए।
लोकपाल का आदेश
लोकपाल ने बारह नवंबर को अपने फैसले में सीबीआई को आरोपपत्र दायर करने की अनुमति दी थी। लोकपाल ने लोकपाल अधिनियम की धारा 20 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग किया। सीबीआई को चार सप्ताह के भीतर आरोपपत्र दायर करने का निर्देश दिया गया। आरोपपत्र की एक प्रति लोकपाल को प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया गया। यह आदेश पूर्ण पीठ द्वारा पारित किया गया था।
अदालत की टिप्पणी
दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि मामला अदालत के समक्ष आने से पहले ही मीडिया में पहुंच गया था। पीठ ने सीलबंद लिफाफे की सामग्री की जांच के लिए समय मांगा। अदालत ने मामले को 21 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया। इस दौरान सभी पक्षों को अपनी दलीलें तैयार करने का समय मिलेगा। अदालत ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए सुनवाई का समय निर्धारित किया।
मामले की पृष्ठभूमि
नकद-के-लिए-प्रश्न मामले में महुआ मोइत्रा पर आरोप लगे हैं। लोकपाल ने इस मामले में सीबीआई को जांच का निर्देश दिया था। सीबीआई ने अपनी जांच पूरी कर लोकपाल को रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। लोकपाल ने जांच रिपोर्ट और सबूतों का अध्ययन करने के बाद यह आदेश पारित किया। अब महुआ मोइत्रा ने इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।
आगामी कार्यवाही
अब अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी। इस दौरान अदालत लोकपाल के आदेश की कानूनी वैधता पर सुनवाई करेगी। महुआ मोइत्रा की ओर से वरिष्ठ वकील याचिका पेश करेंगे। केंद्र सरकार और सीबीआई भी अपना पक्ष रखेंगी। अदालत का निर्णय इस मामले में आगे की कार्यवाही का मार्गदर्शन करेगा। सभी पक्ष मामले की अगली सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं।
