Maharashtra News: महाराष्ट्र की जेलों में भीषण भीड़भाड़ की स्थिति ने चिंता बढ़ा दी है। राज्य की प्रमुख जेलें अपनी क्षमता से तीन गुना तक अधिक कैदियों को समेटे हुए हैं। मुंबई की आर्थर रोड जेल, ठाणे जेल और नवी मुंबई की तलोजा जेल में हालात सबसे ज्यादा गंभीर हैं। इस भीड़भाड़ के कारण कैदियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा पर गंभीर संकट मंडरा रहा है।
आर्थर रोड जेल की स्थिति सबसे भयावह है। इसकी निर्मित क्षमता मात्र एक हजार कैदियों के लिए है। लेकिन वर्तमान में इसमें तीन हजार पांच सौ तीस कैदी रह रहे हैं। यह जेल अंग्रेजों के जमाने में 1926 में बनाई गई थी। छह एकड़ में फैली इस जेल में बीस से अधिक बैरक हैं।
अन्य जेलों की भी खराब स्थिति
ठाणे सेंट्रल जेल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। इस जेल में एक हजार छियासी कैदियों के रहने की व्यवस्था है। लेकिन अभी यहां तीन हजार एक सौ ग्यारह कैदी मौजूद हैं। नवी मुंबई की तलोजा जेल में भी स्थिति बेहतर नहीं है। दो हजार एक सौ चौबीस की क्षमता वाली इस जेल में दो हजार तीन सौ बहत्तर कैदी रह रहे हैं।
इन जेलों में भीड़बाढ़ का एक प्रमुख कारण इनका कोर्ट के पास स्थित होना है। अदालतों में पेशी के लिए कैदियों को लाना-ले जाना आसान होता है। दूरस्थ जेलों में कैदियों को ले जाने में सुरक्षा संबंधी जोखिम रहता है। इसलिए अधिकांश कैदियों को इन्हीं जेलों में रखा जाता है।
राज्यव्यापी समस्या
महाराष्ट्र की अन्य जेलों की स्थिति भी चिंताजनक है। नागपुर सेंट्रल जेल में एक हजार आठ सौ चालीस की क्षमता पर तीन हजार आठ सौ पचपन कैदी हैं। कल्याण सेंट्रल जेल में पांच सौ चालीस की जगह दो हजार एक सौ सात कैदी रह रहे हैं। येरवडा सेंट्रल जेल में सात हजार सत्ताईस कैदी हैं।
राज्य की जेलों में कुल बयालीस हजार सात सौ सत्ताईस कैदी मौजूद हैं। इनमें इकतालीस हजार सात पुरुष, एक हजार सात सौ सात महिलाएं और तेरह ट्रांसजेंडर कैदी शामिल हैं। राज्य की सभी जेलों की संयुक्त क्षमता चौबीस हजार सात सौ बाईस है।
आर्थर रोड जेल का ऐतिहासिक महत्व
मुंबई की आर्थर रोड जेल का अपना ऐतिहासिक महत्व रहा है। यह जेल अंडरवर्ल्ड के लिए प्रसिद्ध रही है। दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन जैसे दिग्गज डॉन यहां कैद रह चुके हैं। 26/11 हमले के दोषी अजमल आमिर कसाब को भी यहां रखा गया था।
हाल ही में बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को भी इसी जेल में रखा गया था। महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख और सांसद संजय राउत जैसे हाई-प्रोफाइल लोग भी यहां कैद रह चुके हैं। इस जेल में अंडे के आकार की उच्च सुरक्षा वाली कोठरियां हैं।
सुविधाओं की कमी
जेलों में कर्मचारियों की भारी कमी है। इस भीड़-भाड़ के कारण कैदियों के बीच बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता सुविधाओं का अभाव है। अधिक संख्या में कैदी होने के कारण स्वास्थ्य सेवाएं भी पर्याप्त नहीं हैं।
जेलों में विचाराधीन कैदियों की संख्या भी अधिक है। कई कैदी गरीब तबके से हैं। मामूली अपराधों के आरोप में उन्हें वर्षों से बिना सजा के जेल में रखा गया है। इससे जेलों पर अतिरिक्त दबाव बढ़ रहा है।
भविष्य की चुनौतियां
प्रशासन के सामने जेल क्षमता बढ़ाने की चुनौती है। नई जेलों के निर्माण और मौजूदा जेलों के विस्तार की आवश्यकता है। कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने पर भी ध्यान देना होगा। जेल सुधारों पर तेजी से काम करने की जरूरत है।
महाराष्ट्र में कुल नौ केंद्रीय जेलें हैं। इनके अलावा इक्यावन विभिन्न श्रेणियों की जिला जेलें हैं। राज्य में उन्नीस खुली जेलें, तीन महिला जेलें और एक किशोर सुधार गृह भी मौजूद हैं। इन सभी में कैदियों की संख्या निर्धारित क्षमता से कहीं अधिक है।
