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Saturday, April 1, 2023

दिल्ली के रामलीला मैदान में होगी किसानों की महापंचायत, कहा, मांगे ना मानी तो चुनावों में होगा पार्टियों का विरोध

Delhi News: किसान हित और खेती को बचाने के लिए लंबित मांगों के समर्थन में संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन-2 की घोषणा की है। इसके तहत रामलीला मैदान में सोमवार को किसानों की महापंचायत होगी।

इसमें देश के राज्यों के किसान अपनी मांगों को केंद्र समक्ष रखते हुए समस्याओं के समाधान की मांग सरकार के समक्ष रखेंगे। किसान नेताओं ने केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो 2024 के चुनाव में सभी पार्टियों को किसानों के रोष का असर दिखेगा। साथ ही कहा कि किसानों को अगर महापंचायत में जाने से पुलिस ने रोका तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

प्रेस क्लब में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए एसकेएम के नेताओं ने केंद्र सरकार पपर कॉरपोरेट के साथ मिलकर विकास पर जोर देने की कड़ी निंदा की। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे कृषि आय में कमी हो रही है जबकि कॉरपोरेट घराने अपने फायदे के लिए खेत, वन और प्राकृतिक संसाधनों को छीनने की तरफ अग्रसर है।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता सोमवार को महापंचायत में किसान, आदिवासी किसान, महिला किसान, खेत मजदूर और प्रवासी मजदूर, ग्रामीण श्रमिक, बेरोजगारी और बढ़ते व्यय और कम हो रही क्रय शक्ति पर इन नीतियों के प्रभाव के बारे में विस्तार से अपनी बात रखेंगे। केंद्र सरकार से संयुक्त किसान मोर्चा को 9 दिसंबर, 2021 को दिए गए लिखित आश्वासनों को पूरा करने और किसानों के समक्ष बढ़ते संकट के समाधान के लिए प्रभावी कदम उठाने की महापंचायत में किसान नेता मांग करेंगे।

नेताओं ने कहा-
दर्शन पाल- केंद्र सरकार को याद दिलाएंगे कि एमएसपी के लिए एक कानून बनाएंगे, केंद्र सरकार को चुनौती देंगे। अजय मिश्रा टेनी को क्यों नहीं बर्खास्त किया गया। किसानों की अगर मांगें नहीं मानी गई तो 2023-24 में संयुक्त किसान मोर्चा मिशन कर्ज मुक्ति और मिशन एमसीपी, देश की तमाम राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनौती होगी। किसानों के मुद्दे को मेनिफेस्टो में शामिल करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि किसानों को महापंचायत में शामिल होने से पुलिस रोके नहीं।

हन्नान मोला- किसानों को सी2 के साथ 50 फीसदी के बजाय ए2 के साथ 50 फीसदी देने की बात की जा रही है। सरकार अपने वादे को पूरा नहीं कर सकी, किसानो की मांगों में सात प्रमुख मांगे हैं। केंद्र सरकार से बातचीत और आश्वासन के बाद भी समाधान के लिए कोई पहल नहीं की गई।

भारतीय किसान यूनियन के धर्मवीर सिंह ने कहा कि सरकार की तरफ से मांगों पर सुनवाई नहीं होने पर किसान आंदोलन पार्ट-2 की शुरुआत की गई। गन्ने की फसल पर पैसे मिलने में देरी, भूमि अधिग्रहण सहित किसानों के लिए समस्याएं हैं। सरकार को इनका समाधान ढूंढना चाहिए, अगर ऐसा नहीं होता है तो चुनाव में सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती है।

सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर- महापंचायत में देश के सभी राज्यों के किसान पहुंचेंगे। संविधान बचाने के लिए देश भर से महिला किसान, आदिवासी सहित सभी वर्गों के किसान पहुंचेंगे, यह जनजागरण होगा।

राजाराम ने एमएसपी पर किसानों के फसलों की खरीद की गारंटी और पीडीएस के जरिये सभी को भोजन उपलब्ध करवाना सरकार का दायित्व है। किसी को कारॅपोरेट घराने के हाथ में सौंपने से मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। इसपर रोक लगाया जाना चाहिए।

ये हैं मांगे-
स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार सभी फसलों पर सी 2+50 प्रतिशत के फार्मूला के आधार पर एमएसपी पर खरीद की गारंटी के लिए कानून लागू किया जाए।

केंद्र सरकार की ओर से एमएसपी पर गठित समिति और इसका घोषित एजेंडा किसानों की मांगों के विपरीत है। इस समिति को रद्द कर एसकेएम प्रतिनिधियों को शामिल कर सभी फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए किसानों की एक नई समिति का गठन।

कृषि में बढ़ती लागत और फसल के लिए लाभकारी मूल्य नहीं मिलने की वजह से 80 फीसदी से अधिक किसान कर्ज में डूबे हुए हैं और आत्महत्या के लिए मजबूर हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी किसानों के लिए कर्ज मुक्ति, उर्वरकों और फसलों पर लागत कीमत में कमी करने की मांग की है।

संयुक्त संसदीय समिति को विचारार्थ भेजे गए बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लिया जाए। मोर्चा ने कृषि के लिए मुफ्त बिजली और ग्रामीण परिवारों के लिए 300 यूनिट बिजली की मांग को फिर दोहराया है।

लखीमपुर खीरी के तिकोनिया में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को कैबिनेट से बर्खास्त कर गिरफ्तार किया जाए।

किसान आंदोलन के दौरान और लखीमपुर खीरी में जान गंवाने वाले और घायल हुए किसानों के परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास प्रदान करने का वादा पूरा करे सरकार।

फसल बीमा योजना को रद्द कर, बाढ़, सूखा, ओलावृष्टि, असामयिक या अत्याधिक बारिश, फसल संबंधित बीमारियां, जंगली जानवर, आवारा पशु के कारण किसानों द्वारा लगातार सामना किए जा रहे नुकसान की भरपाई के लिए सरकार सभी फसलों के लिए प्रभावी फसल बीमा और मुआवजा पैकेज करे लागू। नुकसान का आकलन व्यक्तिगत भूखंडों के आधार पर किया जाना चाहिए।

सभी किसानों और खेत-मजदूरों के लिए 5,000 प्रति माह की किसान पेंशन योजना तुरंत हो लागू

किसान आंदोलन के दौरान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाएं

सिंघु मोर्चा पर जान गंवाने वाले किसानों के लिए एक स्मारक के निर्माण के लिए भूमि आवंटन

महापंचायत के जरिये देश के किसान अपनी आवाज बुलंद करेंगे और अपनी मांगें पूरी न होने तक चुप नहीं बैठेंगे।

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