Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में बार-बार होने वाली जातिगत हिंसा पर गहरी चिंता जताई है। दमोह जिले की एक घटना पर स्वत संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने कहा कि खुद को हिंदू कहने वाले लोग आपस में लड़कर अस्तित्वहीन हो जाएंगे। जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस प्रदीप मित्तल की युगलपीठ ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि ब्राह्मण-क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र सभी अपनी अलग पहचान का दावा कर रहे हैं।
दमोह की विवादित घटना
यह मामला दमोह जिले के ग्राम सतरिया की एक घटना से संबंधित है। गांव में शराबबंदी लागू होने के बावजूद अन्नू पांडे नाम का युवक शराब बेच रहा था। इस पर ओबीसी वर्ग के एक युवक ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से अन्नू की फोटो के गले में जूतों की माला पहनाई। यह फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। विवाद बढ़ने पर युवक ने फोटो हटा दी लेकिन मामला शांत नहीं हुआ।
पंचायत का विवादास्पद फैसला
गांव में पंचायत बुलाई गई और ओबीसी वर्ग के युवक को मंदिर में बुलाया गया। उस युवक ने अन्नू पांडे के पैर धोए और गंदा पानी पिया। इस पूरी प्रक्रिया का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया गया। यह वीडियो तेजी से वायरल हुआ। इसी वायरल वीडियो पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया। कोर्ट ने इस घटना को गंभीर मानते हुए सख्त रुख अपनाया।
हाईकोर्ट की चेतावनी
हाईकोर्ट ने कहा कि यदि जातिगत संघर्ष पर नियंत्रण नहीं किया गया तो डेढ़ सदी में ही हिंदू समाज अस्तित्वहीन हो जाएगा। कोर्ट ने समाज में बढ़ रही जातिगत खाई पर गहरी चिंता व्यक्त की। अदालत ने कहा कि सभी जातियां अपनी अलग पहचान पर जोर दे रही हैं। इससे सामाजिक एकता खतरे में पड़ रही है। कोर्ट ने इस स्थिति को गंभीर बताया।
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई
युगलपीठ ने दोषियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी घटनाएं सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा रही हैं। अदालत ने प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की। मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी। कोर्ट ने सभी पक्षों से जवाब मांगा है। इस मामले ने प्रदेश की सामाजिक स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
सोशल मीडिया की भूमिका
इस पूरे मामले में सोशल मीडिया की भूमिका विवादास्पद रही। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर अपमानजनक फोटो बनाई गई। बाद में पंचायत के दौरान हुई घटना का वीडियो भी वायरल किया गया। कोर्ट ने सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर भी चिंता जताई। अदालत ने कहा कि तकनीक का गलत इस्तेमाल सामाजिक तनाव बढ़ा रहा है। इस पर नियंत्रण की जरूरत है।
