Raisen News: मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में जातिवाद का एक शर्मनाक मामला सामने आया है। यहां एक युवक को दलित परिवार के घर भोजन करना महंगा पड़ गया। उदयपुरा की पंचायत ने युवक का न केवल सामाजिक बहिष्कार किया, बल्कि अजीबोगरीब फरमान भी जारी कर दिया। पंचायत ने ‘शुद्धिकरण’ के नाम पर युवक पर दबाव बनाया है। पीड़ित ने अब इंसाफ के लिए जिला कलेक्टर से गुहार लगाई है।
पंचायत का तुगलकी फरमान
यह पूरा मामला रायसेन जिले की ग्राम पंचायत पिपलिया पुआरिया का है। गांव के निवासी भरत राज धाकड़ ने एक दलित परिवार के घर खाना खाया था। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। यह बात पंचायत को नागवार गुजरी। पंचायत ने तुरंत एक बैठक बुलाई और भरत राज धाकड़ का हुक्का-पानी बंद करने का फैसला सुनाया।
शुद्धिकरण के लिए पूरे गांव को भोज
पंचायत ने युवक की समाज में वापसी के लिए कठिन शर्तें रखी हैं। मध्य प्रदेश में सामने आए इस मामले में पंचायत ने ‘शुद्धिकरण’ का फरमान सुनाया है। इसके तहत युवक को गंगाजल से पूजा करनी होगी। इसके अलावा, उसे दंड स्वरूप पूरे गांव को भोज कराना होगा। इस फरमान के बाद से पीड़ित परिवार मानसिक तनाव में है।
मंत्री के क्षेत्र का मामला
यह घटना राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल के निर्वाचन क्षेत्र उदयपुरा में हुई है। दिलचस्प बात यह है कि मंत्री ने हाल ही में सामाजिक समरसता का संदेश दिया था। उन्होंने खुद एक दलित परिवार के घर भोजन किया था। दूसरी तरफ, उनके ही क्षेत्र में एक आरएसएस कार्यकर्ता को ऐसा करने पर सजा दी जा रही है।
कलेक्टर ने दिए सख्त कार्रवाई के निर्देश
पंचायत के इस फैसले के खिलाफ पीड़ित भरत राज धाकड़ कलेक्ट्रेट पहुंचे। उन्होंने कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा को अपनी आपबीती सुनाई। कलेक्टर ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सामाजिक कुरीतियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रशासन ने मामले की जांच और उचित कार्रवाई का भरोसा दिया है।
