India News: सात सितंबर की रात चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। यह ग्रहण रात 9:57 बजे शुरू होगा और 1:27 बजे तक रहेगा। ग्रहण की कुल अवधि तीन घंटे तीस मिनट होगी। यह खगोलीय घटना एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और महासागरीय क्षेत्रों में दिखाई देगी।
सूतक काल का समय
ग्रहण शुरू होने से नौ घंटे पहले सूतक काल लग जाएगा। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे। कई मंदिरों में दोपहर बारह बजे के आसपास ही दर्शन बंद हो जाएंगे। अगले दिन आठ सितंबर की सुबह मंदिरों को फिर से खोला जाएगा।
मंदिरों की तैयारियां
उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में मध्याह्न आरती के बाद कपाट बंद कर दिए जाएंगे। मनकामेश्वर मंदिर के कपाट भी दोपहर में बंद हो जाएंगे। हनुमान सेतु मंदिर में अगली सुबह शुद्धिकरण के बाद दर्शन शुरू होंगे। ग्रहण के दौरान मंदिरों में श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित रहेगा।
विशेष सावधानियां
आचार्यों के अनुसार सूतक काल में भोजन या पानी का सेवन नहीं करना चाहिए। खाद्य पदार्थों को कुश या तुलसी के पत्तों से ढक देना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। उन्हें ग्रहण के दौरान घर के अंदर ही रहना चाहिए।
ग्रहण का दृश्यता क्षेत्र
यह चंद्र ग्रहण भारत के अलावा कई महाद्वीपों में दिखाई देगा। एशिया, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के लोग इस खगोलीय घटना का नजारा देख सकेंगे। अंटार्कटिका और प्रशांत महासागर में भी यह ग्रहण दिखाई देगा। अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्सों में भी इसे देखा जा सकेगा।
ग्रहण के चरण
ग्रहण का स्पर्श काल रात 9:57 बजे शुरू होगा। मध्यकाल रात 11:41 बजे होगा और मोक्ष काल रात 1:27 बजे समाप्त होगा। ग्रहण समाप्ति के बाद शुद्धिकरण की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। लोग ग्रहण के बाद स्नान करके अपनी दिनचर्या फिर से शुरू कर सकेंगे।
धार्मिक मान्यताएं
चंद्र ग्रहण के दिन किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दौरान यात्रा करने से बचना चाहिए। देवताओं की मूर्तियों या पेड़-पौधों को छूने की मनाही होती है। ग्रहण काल में तीक्ष्ण वस्तुओं के उपयोग से भी परहेज करना चाहिए।
