Science News: 7 सितंबर 2025 को साल का अंतिम पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। इस खगोलीय घटना को लेकर भारत में कई मिथक प्रचलित हैं। विज्ञान इनमें से अधिकतर मान्यताओं को सिरे से खारिज करता है। आइए जानते हैं चंद्र ग्रहण से जुड़े सामान्य मिथक और उनके पीछे के वैज्ञानिक तथ्य।
गर्भवती महिलाओं के लिए खतरा?
एक प्रचलित मिथक यह है कि गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण नहीं देखना चाहिए। मान्यता है कि इससे अजन्मे बच्चे को नुकसान हो सकता है। विज्ञान इस धारणा को पूरी तरह गलत बताता है। चंद्र ग्रहण का मानव शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
क्या ग्रहण में खाना खराब हो जाता है?
कई लोग मानते हैं कि ग्रहण के दौरान बना खाना विषैला हो जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह सच नहीं है। खाना केवल बैक्टीरिया की वजह से खराब होता है। ग्रहण का इस प्रक्रिया से कोई संबंध नहीं है। यह मिथक प्राचीन समय में भोजन संरक्षण की कमी से उपजा हो सकता है।
क्या ग्रहण के बाद स्नान जरूरी है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के बाद स्नान करना आवश्यक माना जाता है। विज्ञान की दृष्टि से इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। ग्रहण एक खगोलीय घटना मात्र है जो शारीरिक शुद्धता को प्रभावित नहीं करती।
राहु और केतु की पौराणिक कथा
हिंदू मान्यताओं में ग्रहण को राहु-केतु से जोड़ा जाता है। विज्ञान इसकी अलग व्याख्या प्रस्तुत करता है। चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है। यह एक पूर्णतः प्राकृतिक खगोलीय घटना है।
पशु-पक्षियों पर प्रभाव
माना जाता है कि ग्रहण से पशु-पक्षियों का व्यवहार बदल जाता है। शोध बताते हैं कि प्रकाश में अचानक आया बदलाव जानवरों को अस्थायी रूप से प्रभावित कर सकता है। यह प्रभाव कुछ देर बाद स्वतः समाप्त हो जाता है।
क्या ग्रहण देखना अशुभ है?
चंद्र ग्रहण को नंगी आँखों से देखना पूरी तरह सुरक्षित है। सूर्य ग्रहण के विपरीत इसे देखने के लिए किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता नहीं होती। यह एक सुंदर खगोलीय दृश्य है जिसका आनंद लिया जा सकता है।
