India News: साल 2025 का दूसरा और अंतिम चंद्रग्रहण 7 सितंबर को लगेगा। यह खगोलीय घटना भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि पर घटित होगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह चंद्रग्रहण पितृपक्ष के ठीक पहले दिन पड़ रहा है जिसका विशेष धार्मिक महत्व है। भारतीय समयानुसार यह ग्रहण रात 9 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगा।
ग्रहण की कुल अवधि लगभग साढ़े तीन घंटे रहेगी। यह रात 1 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगा। इस चंद्रग्रहण को भारत के अलावा एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे महाद्वीपों में भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा। खगोलविदों ने इसे एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना बताया है।
सूतक काल का समय
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्रग्रहण से नौ घंटे पूर्व सूतक काल प्रारंभ हो जाता है। इस बार सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 57 मिनट से शुरू होगा। सूतक काल के दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं। इस अवधि में देवी-देवताओं की मूर्तियों के स्पर्श से परहेज किया जाता है।
सूतक काल में भोजन ग्रहण करने की मनाही होती है। घर की साफ-सफाई और विशेष नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है। गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। इस दौरान किसी भी प्रकार की कटाई या छेदन का कार्य वर्जित माना जाता है।
धार्मिक महत्व और प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण काल में किए गए जप और तप का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस समय किए गए धार्मिक कर्म सामान्य दिनों की तुलना में सौ गुना अधिक फलदायी होते हैं। इस चंद्रग्रहण का पितृपक्ष से सीधा संबंध होने के कारण पितरों के तर्पण का विशेष महत्व है।
भक्तजन इस दिन दान और धार्मिक अनुष्ठान कर सकते हैं। धार्मिक विद्वान इस समय को मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत उपयुक्त मानते हैं। पूजा-पाठ और मंत्र जाप के लिए यह समय विशेष रूप से शुभ माना जाता है। लोग इस दिन विभिन्न धार्मिक गतिविधियों में भाग लेते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय दृश्यता
यह चंद्रग्रहण एक विस्तृत क्षेत्र में दिखाई देगा। एशिया, यूरोप, अफ्रीका और अमेरिका के अधिकांश देशों में लोग इस खगोलीय घटना का निरीक्षण कर सकेंगे। खगोल विज्ञानियों ने इसकी पूर्व सूचना जारी की है। वे इस घटना का वैज्ञानिक अध्ययन करेंगे। यह खगोलीय घटना वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
