International News: लॉर्ड्स टेस्ट में भारत को 22 रनों से हार का सामना करना पड़ा। 193 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत 170 रनों पर सिमट गया। रवींद्र जडेजा ने 61 रनों की नाबाद पारी खेलकर संघर्ष किया, लेकिन अन्य बल्लेबाजों का साथ न मिलने से टीम हार गई। इंग्लैंड ने इस जीत के साथ सीरीज में 2-1 की बढ़त बना ली। जडेजा की जुझारू पारी ने प्रशंसकों का दिल जीता।
यशस्वी जायसवाल का निराशाजनक प्रदर्शन
यशस्वी जायसवाल ने सीरीज में अब तक 220 रन बनाए थे, जिसमें एक शतक भी शामिल था। लेकिन लॉर्ड्स की चुनौतीपूर्ण पिच पर वे फेल रहे। दोनों पारियों में जायसवाल केवल 13 रन बना सके। उनकी जल्दी आउट होने से भारतीय बल्लेबाजी पर दबाव बढ़ा। लॉर्ड्स की पिच ने उनकी तकनीक की कठिन परीक्षा ली। इस नाकामी ने भारत की शुरुआत को कमजोर कर दिया।
नाइट वॉचमैन का गलत फैसला
चौथे दिन इंग्लैंड की दूसरी पारी 192 रनों पर खत्म हुई। भारत ने 58/4 के स्कोर पर दिन समाप्त किया। तीन विकेट गिरने के बाद आकाश दीप को नाइट वॉचमैन के रूप में भेजा गया, जो आखिरी ओवर में आउट हो गए। यह रक्षात्मक रणनीति उलटी पड़ी। पंत या सुंदर जैसे आक्रामक बल्लेबाजों को भेजकर भारत दबाव कम कर सकता था। इस फैसले ने इंग्लैंड को हावी होने का मौका दिया।
कप्तान गिल का दबाव में बिखरना
कप्तान शुभमन गिल लॉर्ड्स टेस्ट में आत्मविश्वास से भरे नजर नहीं आए। दोनों पारियों में उन्होंने केवल 22 रन बनाए। दूसरी पारी में गिल 9 गेंदों पर कई बार बीट हुए। कप्तान का कमजोर प्रदर्शन टीम के मनोबल पर असर डालता है। गिल की यह नाकामी भारत की हार का एक बड़ा कारण बनी। उनकी बल्लेबाजी में वह आक्रामकता नहीं दिखी, जो पहले देखने को मिली थी।
जडेजा की जुझारू पारी
रवींद्र जडेजा ने 61 रनों की नाबाद पारी खेलकर भारत की उम्मीदें जिंदा रखीं। 82/7 के स्कोर पर भी उन्होंने हार नहीं मानी। जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज के साथ उनकी साझेदारी ने मैच को रोमांचक बनाया। जडेजा की 181 गेंदों की पारी में दृढ़ संकल्प झलकता था। हालांकि, अंतिम विकेट के रूप में सिराज के आउट होने से भारत की जीत की उम्मीद टूट गई।
इंग्लैंड की रणनीति और स्टोक्स का प्रभाव
इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने 24 ओवर फेंके और 3 विकेट लिए। उनकी अगुआई में जोफ्रा आर्चर और शोएब बशीर ने भी अहम भूमिका निभाई। बशीर ने चोटिल होने के बावजूद अंतिम विकेट लिया। इंग्लैंड ने 193 रनों का बचाव कर लॉर्ड्स में ऐतिहासिक जीत हासिल की। यह हार भारत के लिए निराशाजनक रही, क्योंकि छोटे लक्ष्य के बावजूद वे जीत से चूक गए।
