India News: भारत में भ्रष्टाचार के 10 सबसे चर्चित विभागों की सूची सामने आई है। यह सूची जनता की शिकायतों, मीडिया और ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट पर आधारित है। पुलिस विभाग पहले स्थान पर है। राजस्व और नगर निगम विभाग भी शीर्ष पर हैं। भ्रष्टाचार में रिश्वत, फर्जीवाड़ा और अवैध वसूली के आरोप शामिल हैं। सूची को NCIB ने सोशल मीडिया पर साझा किया।
पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
पुलिस विभाग को सबसे भ्रष्ट माना गया है। इस पर रिश्वत लेने के आरोप हैं। कई बार फर्जी केस दर्ज किए जाते हैं। FIR दर्ज न करना आम शिकायत है। सड़कों पर चेकिंग के नाम पर अवैध वसूली होती है। ज़मीन विवादों में पक्षपात की बात सामने आती है। पीड़ितों से न्याय के बदले पैसे मांगे जाते हैं। यह विभाग जनता के विश्वास को ठेस पहुंचा रहा है।
राजस्व विभाग में जमीन से जुड़ा फर्जीवाड़ा
राजस्व विभाग दूसरे स्थान पर है। तहसील में जमीन की फर्जी रजिस्ट्री होती है। दाखिल-खारिज में रिश्वत मांगी जाती है। खतौनी निकालने में भी पैसे देने पड़ते हैं। नामांतरण प्रक्रिया में भ्रष्टाचार आम है। कई मामलों में बिचौलियों की भूमिका सामने आती है। यह विभाग भूमि रिकॉर्ड से जुड़े कामों में भारी गड़बड़ी करता है। इससे जनता को परेशानी होती है।
नगर निगम में अवैध निर्माण को बढ़ावा
नगर निगम तीसरे स्थान पर है। भवन नक्शा पास कराने में रिश्वत ली जाती है। अवैध निर्माण को नजरअंदाज किया जाता है। सफाई व्यवस्था में भी गड़बड़ी के आरोप हैं। रिश्वत लेकर अवैध निर्माण को बढ़ावा दिया जाता है। नगर पालिका के कामकाज में पारदर्शिता की कमी है। इससे शहरी विकास प्रभावित होता है। जनता को मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशानी झेलनी पड़ती है।
ग्राम पंचायत में योजनाओं में गड़बड़ी
ग्राम पंचायत और ब्लॉक स्तर का विभाग चौथे स्थान पर है। प्रधानमंत्री आवास योजना में गड़बड़ी होती है। शौचालय योजना में रिश्वत ली जाती है। राशन कार्ड में हेराफेरी के आरोप हैं। वृद्धावस्था और विधवा पेंशन में अनियमितता होती है। ग्रामसभा के अन्य कार्यों में भी भ्रष्टाचार होता है। बिचौलियों की भूमिका से समस्याएं बढ़ती हैं। ग्रामीण विकास पर इसका बुरा असर पड़ता है।
बिजली विभाग में फर्जी बिलिंग का खेल
बिजली विभाग पांचवें स्थान पर है। मीटर रीडिंग में हेराफेरी होती है। फर्जी बिलिंग के मामले सामने आते हैं। कनेक्शन देने में देरी की शिकायतें हैं। फाल्ट ठीक करने के लिए रिश्वत मांगी जाती है। बिना पैसे दिए लाइन ठीक नहीं होती। यह विभाग जनता को बुनियादी सुविधाओं से वंचित करता है। इससे लोगों का भरोसा टूटता है।
RTO में लाइसेंस और फिटनेस में भ्रष्टाचार
सड़क परिवहन विभाग (RTO) छठे स्थान पर है। ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्ट नहीं लिया जाता। रिश्वत देकर लाइसेंस मिल जाता है। वाहन पंजीकरण में पैसे मांगे जाते हैं। अनफिट वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट दे दिया जाता है। इससे सड़क सुरक्षा प्रभावित होती है। विभाग की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता की कमी है। जनता को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
स्वास्थ्य विभाग में दवा और ऑपरेशन में गड़बड़ी
स्वास्थ्य विभाग सातवें स्थान पर है। दवा आपूर्ति में भ्रष्टाचार होता है। डॉक्टर अक्सर अनुपस्थित रहते हैं। मरीजों को निजी अस्पताल भेजा जाता है। अनावश्यक महंगी दवाइयां लिखी जाती हैं। मेडिकल स्टोर से कमीशन लिया जाता है। सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी है। इससे गरीब मरीजों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। स्वास्थ्य सेवाओं पर भरोसा कम हो रहा है।
शिक्षा विभाग में शिक्षक भर्ती में घोटाला
शिक्षा विभाग आठवें स्थान पर है। शिक्षक भर्ती में बड़े घोटाले होते हैं। स्कूलों में शिक्षकों की फर्जी उपस्थिति दर्ज की जाती है। निजी स्कूलों से सांठगांठ की शिकायतें हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है। सरकारी स्कूलों में संसाधनों की कमी रहती है। भ्रष्टाचार के कारण बच्चों का भविष्य दांव पर लगता है। विभाग में सुधार की जरूरत है।
आवास और शहरी विकास में टेंडर घोटाला
आवास और शहरी विकास विभाग नौवें स्थान पर है। निर्माण ठेकों में भ्रष्टाचार होता है। टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी की शिकायतें हैं। अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत आम है। इससे विकास परियोजनाएं प्रभावित होती हैं। जनता को बेहतर सुविधाएं नहीं मिल पातीं। पारदर्शिता की कमी इस विभाग की बड़ी समस्या है। भ्रष्टाचार के कारण प्रोजेक्ट्स में देरी होती है।
कर विभाग में अवैध वसूली का खेल
कर विभाग दसवें स्थान पर है। इनकम टैक्स और GST से जुड़े मामले में भ्रष्टाचार होता है। छापों से बचाने के लिए रिश्वत ली जाती है। फर्जी रिटर्न दाखिल किए जाते हैं। व्यापारियों से अवैध वसूली होती है। बिचौलियों की भूमिका से रकम कई गुना बढ़ जाती है। इससे सरकार को राजस्व का नुकसान होता है। जनता का विश्वास भी कम होता है।
