Karnal News: मुकेश अपनी उपज को दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे बड़े-बड़े शहरों में भेजते हैं. 4 नेट हाउस में खेती के जरिए सालाना तकरीबन 8 लाख रुपए से ज्यादा का मुनाफा होता है.
हरियाणा के करनाल जिले के छपरियो गांव के रहने वाले किसान मुकेश ने अपनी 45000 रुपये की महीने तनख्वाह सरकारी नौकरी छोड़ खेती की तरफ रूख किया था. फिलहाल, वह शेडनेट हाउस में खीरे की खेती से बंपर मुनाफा कमा रहे हैं. दो साल पहले तक मुकेश के पास सिर्फ एक नेट हाउस था. अब उनके पास 4 शेडनेट हाउस है, जिसमें वह खीरे की खेती करते हैं.
सालाना 8 लाख की कमाई
मुकेश अपनी उपज को दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे बड़े-बड़े शहरों में भेजते हैं. एक नेट हाउस पर खेती करने पर कि उनकी लागत तकरीबन 2 लाख रुपए आती है. इस दौरान वह 2 लाख रुपए से ज्यादा का मुनाफा भी कमा लेते हैं. 4 नेट हाउस में खेती के जरिए उन्हें सालाना तकरीबन 8 लाख रुपए से ज्यादा का मुनाफा होता है.
शेडनेट बनाने के लिए सरकार से मिली थी सब्सिडी
मुकेश बताते हैं कि शेडनेट हाउस बनाने के लिए उन्हें कुल 65 % की सब्सिडी मिली थी. सिंचाई के लिए ड्रिप तकनीक का उपयोग करते हैं. इससे पानी की बचत होती है. वह साल भर खीरे की करते हैं. वह खीरे के पौधों को एक प्लास्टिक की रस्सी के सहारे लपेटकर ऊपर की ओर चढ़ाते हैं. इस प्रक्रिया के दौरान वह प्लास्टिक की रस्सियों को एक सिरे की पौधों के आधार से तथा दूसरे सिरे को ग्रीनहॉउस में क्यारियों के ऊपर 9-10 फीट ऊँचाई पर बंधे लोहे के तारों पर बांध देते हैं.
40 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है फसल
जब पौधा बड़ा हो रहा हो तो उसके विभिन्न दिशाओं से निकली शाखाओं की निरन्तर काट-छांट करें. इस दौरान ध्यान रखें पौधों के अन्य हिस्सों को नुकसान न पहुंते. पौधों को कितनी उर्वरक और सिंचाई की जरूरत है यह मौसम एवं जलवायु पर निर्भर करती है. आमतौर पर गर्मी में प्रतिदिन तथा सर्दी में 2-3 दिन के अंतराल पर सिंचाई की जाती है. आपको बता दें खीरे की फसल अपनी बुवाई के 40 दिन बाद फसल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. यह साल भर मुनाफा देने वाली फसल मानी जाती है.