Himachal News: मंडी-कुल्लू हाईवे पर चार मील के पास शनिवार दोपहर भूस्खलन ने सैकड़ों यात्रियों को मुश्किल में डाल दिया। 24 घंटे से ज्यादा समय तक सड़क बंद रही। तेज धूप और गर्मी में लोग परेशान रहे। छोटे बच्चों के साथ माता-पिता चिंतित दिखे। झरने का पानी पीने को मजबूर पर्यटकों को गुरुद्वारा सिंह सभा के सेवादारों ने खाना बांटकर राहत दी।
भूस्खलन ने रोका रास्ता
शनिवार दोपहर दो बजे चार मील के पास भूस्खलन हुआ। सड़क पर मलबा जमा होने से वाहनों की आवाजाही ठप हो गई। छोटे वाहनों को कटौला और पंडोह के रास्ते भेजा गया, लेकिन बड़े वाहन यहीं फंस गए। बिंद्रावणी टनल से चार मील तक तीन किलोमीटर लंबी वाहनों की कतार लगी। यात्रियों ने पूरी रात गाड़ियों में गुजारी, जिससे उनकी परेशानी बढ़ गई।
पर्यटकों की मुश्किलें
मनाली जा रहे पर्यटक शिवानी, नेहा और दिलीप ने बताया कि वे रास्ते में फंस गए। यूपी की नेहा ने कहा कि उनके बच्चे के लिए दूध की बोतल 50 रुपये में मिली। पानी के लिए लोग झरने पर निर्भर रहे। महाराष्ट्र से आए 35 एनसीसी कैडेट्स भी शनिवार रात से फंसे थे। कैडेट्स ने बताया कि सुबह से भूखे थे, लेकिन गुरुद्वारा सेवादारों के खाने से राहत मिली।
गुरुद्वारा सेवादारों का सहयोग
गुरुद्वारा सिंह सभा नेरचौक रिवालसर गुरुकोठा साहब के सदस्यों ने फंसे यात्रियों की मदद की। अध्यक्ष सरदार सिंह, उप प्रधान जसवंत सिंह और अन्य ने मौके पर पहुंचकर खाना बांटा। भूखे बच्चों और यात्रियों के चेहरों पर राहत देखी गई। यात्रियों ने कहा कि इस मदद ने उन्हें मुश्किल वक्त में हौसला दिया। सेवादारों की इस पहल को सभी ने सराहा।
यात्रियों की आपबीती
दिल्ली के करण सवरवाल ने बताया कि लेह से घर लौटते वक्त वे फंस गए। रास्ता खुलने की उम्मीद खत्म होने पर उन्होंने पहाड़ी चढ़कर बिंद्रावणी पहुंचने का फैसला किया। ताइवान के युवान ने कहा कि वे मनाली जा रहे थे, लेकिन सुबह से फंसे थे। उन्होंने सुझाव दिया कि हाईवे पर ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए बेहतर तकनीक और मशीनरी होनी चाहिए।
वैकल्पिक मार्ग की मांग
महाराष्ट्र के विवेक सिंह ने बताया कि गर्मी में बस में बैठना मुश्किल था। वे रात से फंसे थे और दोपहर तक कोई राहत नहीं मिली। उन्होंने कहा कि बड़े वाहनों के लिए वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था होनी चाहिए। यात्रियों ने सरकार से मांग की कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सड़क व्यवस्था को और मजबूत किया जाए।
