शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

लद्दाख हिंसा: भाजपा ने कांग्रेस पर लगाए हिंसा भड़काने के आरोप, सोनम वांगचुक ने दिया यह जवाब

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Leh News: लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर हुई हिंसा के बाद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने दावा किया कि कांग्रेस पार्षद स्टानजिन त्सेपांग ने भीड़ को उकसाया। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और 80 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

संबित पात्रा ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि कांग्रेस ने हिंसा को प्रायोजित किया। उन्होंने कहा कि त्सेपांग भाजपा कार्यालय की ओर हथियार लेकर मार्च करते देखे गए। भाजपा नेता ने तस्वीरों और वीडियो का हवाला देते हुए कांग्रेस पर हमले की साजिश रचने का आरोप लगाया। पुलिस ने इस मामले में कांग्रेस पार्षद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

सोनम वांगचुक ने क्या कहा?

जाने-माने पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने भाजपा के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस के पास इतना प्रभाव नहीं है कि वह हजारों युवाओं को सड़कों पर उतार सके। वांगचुक ने कहा कि हिंसा का कारण युवाओं में जमा हुआ गुस्सा और निराशा है। उन्होंने बताया कि पांच साल से शांतिपूर्ण आंदोलन चल रहा था।

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वांगचुक ने कहा कि कांग्रेस पार्षद ने केवल अपने गांव के घायल लोगों से मिलने अस्पताल जाने का प्रयास किया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस घटना को हिंसा का कारण बताना सही नहीं है। उनके अनुसार हिंसा का तात्कालिक कारण दो बुजुर्गों के घायल होने की घटना रही हो सकती है।

हिंसा की घटनाक्रम

लेह में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की और भाजपा कार्यालय में आग लगा दी। अर्धसैनिक बलों की वाहनों को भी नुकसान पहुंचाया गया। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया।

इस झड़प में 80 से अधिक लोग घायल हुए जिनमें 40 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। चार गंभीर रूप से घायल लोगों की अस्पताल में मौत हो गई। लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने इस घटना को साजिश बताया है। उन्होंने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

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आंदोलन की पृष्ठभूमि

लद्दाख में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग जोर पकड़ रही है। स्थानीय संगठनों का कहना है कि इससे उन्हें भूमि और रोजगार में संरक्षण मिलेगा। गृह मंत्रालय ने इस मुद्दे पर बातचीत के लिए 6 अक्टूबर की तारीख दी थी। स्थानीय लोगों को यह तारीख बहुत देरी से मिलना लग रहा था।

सोनम वांगचुक ने कहा कि लोगों में निराशा का माहौल है। शांतिपूर्ण आंदोलन के बावजूद कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। उन्होंने बताया कि इस बार युवा अचानक बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए। स्थानीय नेताओं का मानना है कि सरकार को जल्द ही इस मुद्दे का समाधान निकालना चाहिए।

लद्दाख में सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। प्रशासन ने शांति बनाए रखने के लिए कर्फ्यू जैसे कदम उठाए हैं। स्थानीय प्रशासन और आंदोलनकारियों के बीच बातचीत की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। अब सभी की नजरें 6 अक्टूबर को होने वाली बैठक पर टिकी हैं।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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