शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

लद्दाख विरोध: राज्य की सड़कों पर भड़की हिंसा, सीआरपीएफ का वाहन जलाया; सोनम वांगचुक ने तोड़ा अनशन

Share

Leh News: लद्दाख की सड़कों पर सोमवार को शांतिपूर्ण प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई पत्थरबाजी में कई लोग घायल हुए। भीड़ ने सुरक्षा बलों के वाहनों और एक राजनीतिक दल के कार्यालय में आग लगा दी। यह विरोध लद्दाख को राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हुआ है।

लेह एपेक्स बॉडी द्वारा आहूत इस प्रदर्शन का स्वरूप तब बदल गया जब हालात बेकाबू हो गए। तनाव तब और बढ़ गया जब भूख हड़ताल पर बैठे दो सदस्यों की तबीयत बिगड़ने की खबर आई। इस घटना ने प्रदर्शनकारियों के गुस्से को हवा दे दी।

पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक इस आंदोलन की प्रमुख आवाज रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने का वादा पांच साल बाद भी पूरा नहीं हुआ है। उन्होंने अपना 15 दिन का अनशन तोड़ दिया।

वांगचुक का कहना है कि लोगों का सब्र टूट रहा है। उन्होंने कहा कि वे भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी घटना के पक्ष में नहीं हैं। लेकिन उनकी मांगों पर जल्द और ठोस कार्रवाई की जरूरत है।

केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया

लगातार बढ़ रहे दबाव के बीच केंद्र सरकार ने बातचीत का प्रस्ताव रखा है। गृह मंत्रालय ने छह अक्टूबर को लद्दाख के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की घोषणा की है। यह बैठक मांगों पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

यह भी पढ़ें:  बीजेपी नेता विवाद: पूर्व विधायक ने मुस्लिम लड़कियों का अपहरण करने का दिया आह्वान, वीडियो हुआ वायरल

हालांकि, लेह एपेक्स बॉडी ने स्पष्ट किया है कि बातचीत के बावजूद आंदोलन जारी रहेगा। संगठन का कहना है कि जब तक राज्य का दर्जा और संवैधानिक अधिकार सुनिश्चित नहीं होते, वे संघर्ष जारी रखेंगे।

स्थानीय लोगों का मानना है कि शांतिपूर्ण विरोध से अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। इसी निराशा और हताशा के चलते लेह में प्रदर्शन हिंसक हो गया। लोग अब त्वरित समाधान चाहते हैं।

छठी अनुसूची का महत्व

छठी अनुसूची भारत के संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है। इसके तहत स्वायत्त परिषदों का गठन किया जाता है।

लद्दाख की मांग है कि उसे भी इसी अनुसूची के दायरे में लाया जाए। इससे क्षेत्र के लोगों को भूमि, संसाधनों और सांस्कृतिक पहचान पर अधिकार मिल सकेगा। यह स्वायत्तता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जाता है।

लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने के बाद से ही यह मांग उठती रही है। स्थानीय नेताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार ने अपने वादों को पूरा नहीं किया है। इसी ने असंतोष को बढ़ावा दिया है।

भूख हड़ताल की भूमिका

लेह एपेक्स बॉडी के सदस्यों की भूख हड़ताल ने आंदोलन को नई ऊर्जा दी। पंद्रह लोगों ने अपनी मांगों को लेकर अनशन शुरू किया था। यह हड़ताल 35 दिनों तक चली।

यह भी पढ़ें:  RBI: अब हर 7 दिन में अपडेट होगा क्रेडिट स्कोर, लोन लेना हुआ आसान

दो सदस्यों के स्वास्थ्य के बिगड़ने की खबर ने जनता में रोष पैदा किया। इसने सोमवार के प्रदर्शन को हिंसक बनाने में अहम भूमिका निभाई। लोगों ने प्रशासन की ओर से लापरवाही का आरोप लगाया।

सोनम वांगचुक ने भी इस भूख हड़ताल में हिस्सा लिया था। उन्होंने हिंसा भड़कने के बाद अपना अनशन समाप्त कर दिया। उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने पर जोर दिया है।

सुरक्षा बलों की कार्रवाई

हिंसा भड़कने के बाद सुरक्षा बलों ने स्थिति पर नियंत्रण पाने की कोशिश की। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले और लाठीचार्ज का सहारा लिया। इस दौरान दोनों पक्षों के कई लोग घायल हुए।

भीड़ ने कथित तौर पर सीआरपीएफ की एक गाड़ी और पुलिस वैनों को आग के हवाले कर दिया। इसके अलावा एक राजनीतिक दल के कार्यालय को भी निशाना बनाया गया। वहां आगजनी की गई जिससे भारी नुकसान हुआ।

प्रशासन ने हिंसा की घटनाओं की निंदा की है। उसने शांति बहाल करने और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर नजर रखने का वादा किया है। अधिकारी हालात को सामान्य बनाने में जुटे हुए हैं।

लद्दाख में यह घटना क्षेत्र में बढ़ते असंतोष का संकेत है। लोग अपनी मांगों को लेकर गंभीर हैं और वे जल्द समाधान चाहते हैं। आने वाली बैठक इस मामले में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

Read more

Related News