Leh News: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को लद्दाख के मुद्दों पर चर्चा के लिए अपने दरवाजे खुले रखने की बात कही। मंत्रालय ने लेह एपेक्स बाडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ बातचीत जारी रखने की इच्छा व्यक्त की। सरकार ने विश्वास जताया कि निरंतर संवाद से निकट भविष्य में सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।
गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि वह एलएबी और केडीए के साथ उच्चाधिकार प्राप्त समिति के माध्यम से चर्चा जारी रखने को तैयार है। सरकार ने लद्दाख में 1800 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू होने की जानकारी भी दी। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब एलएबी ने सामान्य स्थिति बहाल होने तक बातचीत से दूरी बनाए रखने का फैसला किया है।
एलएबी की स्थिति और मांगें
लेह एपेक्स बाडी ने हाल ही में केंद्र सरकार के साथ बातचीत से कदम पीछे खींच लिए हैं। संगठन ने कहा कि सही कदम उठाए जाने पर वह छह अक्टूबर की बैठक में शामिल होने पर पुनर्विचार कर सकता है। एलएबी की प्रमुख मांगों में लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करना शामिल है।
24 सितंबर को एलएबी के आह्वान पर हुए बंद के दौरान लेह में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे। इन झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। पुलिस ने 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया। आंदोलन के प्रमुख नेता सोनम वांगचुक को भी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया।
सरकार की पहल और प्रतिक्रिया
गृह मंत्रालय ने लद्दाख में रोजगार के अवसर बढ़ाने पर जोर दिया है। 1800 पदों पर भर्ती प्रक्रिया का शुरू होना इसी दिशा में एक कदम है। सरकार का मानना है कि आर्थिक विकास और रोजगार सृजन से क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम होगी। मंत्रालय ने सभी हितधारकों से शांतिपूर्ण संवाद का आह्वान किया है।
सरकार ने उच्चाधिकार प्राप्त समिति के माध्यम से बातचीत जारी रखने की पेशकश की है। इस समिति में सभी पक्षों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। केंद्र सरकार ने लद्दाख के विकास और कल्याण के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें बुनियादी ढांचे के विकास और शिक्षा संस्थानों को मजबूत करने की परियोजनाएं शामिल हैं।
हाल की हिंसक घटनाएं
24 सितंबर के विरोध प्रदर्शनों ने लद्दाख में तनाव की स्थिति पैदा कर दी। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़पों में चार लोगों की मौत ने स्थिति को और गंभीर बना दिया। घायलों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्रशासन ने कर्फ्यू लगाने और इंटरनेट सेवाएं रोकने जैसे कदम उठाए।
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ने विवाद को और बढ़ा दिया। वांगचुक लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग कर रहे आंदोलन के प्रमुख चेहरे हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत उनकी गिरफ्तारी ने स्थानीय लोगों में रोष पैदा किया। विभिन्न संगठनों ने इस कदम की आलोचना की है।
भविष्य की संभावनाएं
छह अक्टूबर को होने वाली बैठक लद्दाख के मुद्दे का समाधान निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। दोनों पक्षों के बीच संवाद बहाल होने से स्थिति सामान्य हो सकती है। गृह मंत्रालय ने लचीला रुख अपनाया है और बातचीत के लिए तैयार है। एलएबी ने भी शर्तों के पूरा होने पर बातचीत में लौटने की संभावना जताई है।
स्थानीय निवासी शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीद कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाए। सरकार द्वारा शुरू की गई भर्ती प्रक्रिया से युवाओं को रोजगार मिलने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि आर्थिक विकास और राजनीतिक संवाद से क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित हो सकती है।
