शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

कूनो नेशनल पार्क: तेंदुए के हमले में चीता शावक की मौत, प्रोजेक्ट पर बड़ा झटका

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Sheopur News: मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में एक चीता शावक की दुखद मौत हो गई है। मादा चीता ‘ज्वाला’ की बीस महीने की मादा शावक सोमवार शाम जंगल में मृत पाई गई। प्रारंभिक जांच के अनुसार, तेंदुए के साथ हुए संघर्ष के कारण उसकी मौत हुई है। यह घटना चीता पुनर्वास परियोजना के लिए एक बड़ा झटका है।

पार्क प्रबंधन ने बताया कि शाम लगभग साढ़े छह बजे शावक का शव बरामद किया गया। यह शावक अपनी मां से करीब एक महीने पहले ही अलग हो गया था। उसने अपने भाई-बहनों को भी कुछ दिन पूर्व छोड़ दिया था और स्वतंत्र रूप से जंगल में जीवन यापन कर रहा था।

क्षेत्र संचालक उत्तम शर्मा ने पुष्टि की कि मौत का प्राथमिक कारण तेंदुए के साथ हुआ संघर्ष है। अनुमान है कि शिकार या इलाके को लेकर दोनों के बीच झड़प हुई होगी। घटना की स्पष्ट जानकारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मिल पाएगी। पार्क प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

यह पहली बार नहीं है जब कूनो में चीता की मौत हुई है। इससे पहले नामीबिया से लाई गई मादा चीता ‘नभा’ की भी शिकार के दौरान मौत हो गई थी। इन घटनाओं से चीता संरक्षण योजना की चुनौतियां सामने आती हैं। विशेषज्ञ जंगली परिस्थितियों में इन जानवरों के अनुकूलन पर सवाल उठा रहे हैं।

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ताजा घटना के बाद कूनो में चीतों की कुल संख्या पच्चीस रह गई है। इनमें नौ वयस्क और सोलह भारत में जन्मे शावक शामिल हैं। पार्क प्रबंधन का दावा है कि बाकी सभी चीते पूरी तरह स्वस्थ हैं और प्राकृतिक वातावरण में अच्छी तरह रह रहे हैं। उन पर निरंतर नजर रखी जा रही है।

चीता परियोजना प्रबंधन ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सघन निगरानी की योजना बनाई है। टीम लगातार आंकड़ों का विश्लेषण कर रही है। वैज्ञानिकों द्वारा नई रणनीति तैयार की जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य चीतों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

कूनो राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के श्योपुर और मुरैना जिलों की सीमा पर स्थित है। इसका कुल क्षेत्रफल लगभग सात सौ अड़तालीस वर्ग किलोमीटर है। साल दो हजार अठारह में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला था। यहां कई दुर्लभ प्रजातियों के जीव निवास करते हैं।

यहां तेंदुआ, भालू, जंगली कुत्ता और लकड़बग्घा जैसे मांसाहारी जानवर पाए जाते हैं। इनके अलावा सांभर, नीलगाय और चिंकारा जैसे शाकाहारी जीव भी यहां बड़ी संख्या में मौजूद हैं। इन सबके बीच चीतों का पुनर्वास एक बड़ी चुनौती है।

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केंद्र सरकार की चीता पुनर्वास परियोजना के तहत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से बीस चीते लाए गए थे। इन्हें विशेष रूप से तैयार बाड़ों में रखा गया था। धीरे-धीरे इन्हें जंगल में छोड़ा गया। इसके बाद यहां कई शावकों का जन्म हुआ था जो परियोजना की सफलता का संकेत दे रहे थे।

वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाएं प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा हैं। जंगल में शिकारी जानवरों के बीच संघर्ष आम बात है। हालांकि, लुप्त प्रजाति के संरक्षण के दृष्टिकोण से यह चिंता का विषय बना हुआ है। प्रबंधन को और सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।

पार्क अधिकारियों ने बताया कि मृत शावक का पोस्टमार्टम किया जा रहा है। रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के सही कारणों का पता चल पाएगा। इससे भविष्य की रणनीति तय करने में मदद मिलेगी। टीम लगातार अन्य चीतों की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है।

कूनो नेशनल पार्क देश के प्रमुख वन्यजीव अभयारण्यों में शामिल है। चीता पुनर्वास परियोजना की वजह से यह अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में बना रहता है। दुनिया भर के वन्यजीव प्रेमी और शोधार्थी यहां की गतिविधियों पर नजर रखते हैं। हर छोटी-बड़ी घटना की जानकारी सार्वजनिक की जाती है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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