Kullu News: विश्व प्रसिद्ध कुल्लू दशहरा उत्सव की शुरुआत गुरुवार को हो गई है। इस सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय महोत्सव का शुभारंभ हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने किया। भगवान रघुनाथ जी की भव्य शोभायात्रा इस आयोजन का मुख्य आकर्षण रही, जिसमें असंख्य देवी-देवताओं ने हिस्सा लिया। इस वर्ष का यह उत्सव राज्य में आई हाल ही में आई आपदा से प्रभावित लोगों के प्रति सहयोग और समर्पण को समर्पित है।
भगवान रघुनाथ जी की पालकी दोपहर दो बजे अपने मंदिर से रथ मैदान पहुंची। यहां एक विशाल रथ में विराजमान होकर उनकी शोभायात्रा निकाली गई। इस शोभायात्रा में कुल्लू घाटी के सैकड़ों देवी-देवता शामिल हुए। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे देखने के लिए देश-विदेश से हजारों पर्यटक और श्रद्धालु यहां एकत्रित होते हैं।
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने इस ऐतिहासिक उत्सव का शुभारंभ करते हुए इसे हिमाचल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि कुल्लू दशहरा सांप्रदायिक सद्भाव और आपसी भाईचारे का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
सात दिन तक चलेगा उत्सव
यह महोत्सव सात अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान प्रतिदिन सुबह जलेब और रात में ऐतिहासिक लालचंद प्रार्थी कलाकेंद्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। छठे दिन मोहल्ला में सभी देवी-देवता भगवान रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर में हाजरी लगाएंगे। यह एक अद्वितीय दृश्य होता है जब पूरी घाटी के देवता एक स्थान पर एकत्रित होते हैं।
आठ अक्टूबर को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू लालचंद प्रार्थी कलाकेंद्र में इस अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव का समापन करेंगे। परंपरा के अनुसार लंका दहन के साथ ही यह महोत्सव संपन्न होगा। लंका दहन का आयोजन रात्रि में किया जाएगा जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
आपदा प्रभावितों के लिए समर्पित है उत्सव
दशहरा उत्सव समिति के अध्यक्ष सुंदर सिंह ठाकुर ने बताया कि इस वर्ष का कुल्लू दशहरा आपदा से प्रभावित लोगों को सहयोग प्रदान करने के उद्देश्य से समर्पित है। इस वर्ष उत्सव में कुछ गतिविधियों को कम कर दिया गया है ताकि होने वाली बचत को आपदा प्रभावितों की मदद के लिए इस्तेमाल किया जा सके। यह निर्णय समाज के प्रति उनकी सामाजिक जिम्मेदारी को दर्शाता है।
इस कदम का स्थानीय लोगों और विभिन्न संगठनों ने स्वागत किया है। आपदा में अपना सब कुछ खो चुके परिवारों के लिए यह राशि एक बहुत बड़ा सहारा साबित होगी। समिति का यह प्रयास सामुदायिक भावना का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
सांस्कृतिक संध्या का आगाज
राज्यपाल द्वारा उत्सव का शुभारंभ करने के साथ ही ऐतिहासिक लाल चंद प्रार्थी कलाकेंद्र में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव की सांस्कृतिक संध्या का विधिवत शुभारंभ भी हो गया। इस सांस्कृतिक संध्या में देश के विभिन्न राज्यों के कलाकार हिस्सा ले रहे हैं। यह कार्यक्रम स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर की कला एवं संस्कृति को प्रदर्शित करेगा।
इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों में पारंपरिक नृत्य, संगीत और नाट्य प्रस्तुतियाँ शामिल हैं। यह आयोजन स्थानीय कलाकारों को एक बड़े मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करता है। साथ ही यह पर्यटकों के लिए हिमाचल की संस्कृति को समझने का एक शानदार माध्यम है।
तैयारियाँ पूरी
अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव को आकर्षक बनाने के लिए दशहरा उत्सव समिति ने सभी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन, यातायात और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। सात दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में हजारों लोगों के शामिल होने का अनुमान है।
स्थानीय व्यापारियों ने भी इस अवसर के लिए खास तैयारियां की हैं। होटल और गेस्ट हाउस पहले से ही बुक हो चुके हैं। इस उत्सव का स्थानीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कुल्लू का अंतर्राष्ट्रीय दशहरा न केवल एक धार्मिक आयोजन है बल्कि यह क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है।
