Kullu News: अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं। समिति के अध्यक्ष सुंदर सिंह ठाकुर ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू को दिल्ली में निमंत्रण दिया। मुख्यमंत्री ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। उन्होंने इस उत्सव को देव संस्कृति और लोक आस्था का अद्वितीय पर्व बताया। साथ ही राज्य सरकार के पूर्ण सहयोग का आश्वासन भी दिया है।
इस वर्ष का उत्सव दो से आठ अक्तूबर तक ढालपुर मैदान में आयोजित किया जाएगा। यह उत्सव कुल्लू की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक माना जाता है। इसमें देश-विदेश से हजारों पर्यटक और श्रद्धालु शामिल होते हैं। उत्सव को भव्य और सुरक्षित बनाने के लिए विशेष तैयारियां की जा रही हैं।
प्राकृतिक आपदा के बाद पुनर्जीवन का प्रतीक
विधायक सुंदर सिंह ठाकुर ने बताया कि इस वर्ष मानसून में हिमाचल को भारी नुकसान हुआ। कुल्लू जिला भी इस आपदा से अछूता नहीं रहा। मुख्यमंत्री के गंभीर प्रयासों से राहत और पुनर्वास कार्य तेजी से चले। इससे प्रभावित लोगों के जीवन में सामान्यता लौट आई है। यह उत्सव इस पुनर्जीवन और हिमाचल की लचीलापन का भी प्रतीक बन गया है।
उत्सव के मुख्य आकर्षण
अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में कई पारंपरिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। देवताओं की भव्य शोभायात्राएं इसका प्रमुख आकर्षण होती हैं। सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रमों में स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुतियां होंगी। परंपरागत देव समाज की रस्में भी देखने को मिलेंगी। इसके अलावा प्रदर्शनी और व्यावसायिक मेले भी लगाए जाएंगे।
पर्यटकों के लिए विशेष व्यवस्था
आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए व्यापक सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं। यातायात प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद की गई है। पेयजल और स्वच्छता की उचित व्यवस्था पर भी जोर दिया जा रहा है। प्रशासन का लक्ष्य है कि हर आगंतुक को सुविधाजनक अनुभव मिले।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि कुल्लू दशहरा पूरे विश्व में हिमाचल प्रदेश की पहचान है। यह उत्सव सांस्कृतिक विरासत को संजोने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। राज्य सरकार उत्सव की सफलता के लिए हर संभव सहायता प्रदान करेगी। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
भाईचारे और शांति का संदेश
अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं है। यह पर्व आपसी भाईचारे, शांति और समृद्धि का संदेश देता है। यह लोगों को एक सूत्र में बांधने का काम करता है। विभिन्न संस्कृतियों के लोग यहां एकत्रित होते हैं। इससे सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा मिलता है।
स्थानीय लोग और व्यवसायी इस उत्सव का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। उनका मानना है कि इससे पर्यटन को नई गति मिलेगी। पिछली आपदा के बाद यह उत्सव एक नई उम्मीद लेकर आया है। सरकार और प्रशासन दोनों मिलकर इसे सफल बनाने में जुटे हैं।
