Kullu News: अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव के चौथे दिन तेज बारिश ने उत्पात मचा दिया। सुबह होते ही शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने दशहरा उत्सव के कार्यक्रमों में बाधा उत्पन्न कर दी। बारिश का पानी देवताओं के टेंटों के अंदर तक पहुंच गया, जिससे देवलुओं और आयोजकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। कुछ देवलुओं को स्वयं पानी का रास्ता बनाते हुए देखा गया।
जसवंत सिंह नारायण ने बताया कि देवताओं के टेंट में पानी भर जाने के कारण महत्वपूर्ण समस्या उत्पन्न हो गई। देवलुओं के रहने की स्थिति काफी कठिन हो गई। खेमराज देवलु ने स्थिति की गंभीरता बताते हुए कहा कि सीवरेज का गंदा पानी तक देवताओं के टेंट में प्रवेश कर गया। इस कारण वे ठीक से बैठ भी नहीं पा रहे थे।
लक्ष्मी नारायण देवता भी नहीं बचे
बारिश के पानी से लक्ष्मी नारायण देवता के टेंट भी अछूते नहीं रहे। उनके टेंट में भी पानी प्रवेश कर गया। इस वर्ष कुल्लू दशहरा उत्सव में 262 देवी-देवताओं ने शिरकत की है। रोजाना हजारों श्रद्धालु देवताओं का आशीर्वाद लेने पहुंच रहे हैं। लेकिन बारिश ने उनके अनुभव को प्रभावित किया।
32 दिनों तक चलने वाले व्यापारिक मेले में भी व्यापारियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। दुकानदारों का कहना है कि बारिश के कारण उनका व्यापार ठप्प हो गया। पानी की निकासी की उचित व्यवस्था न होने से उनका सामान खराब होने का खतरा उत्पन्न हो गया।
दुकानदारों की परेशानी
दुकानदार कालू राम ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि पहले उन्हें झूले के पास जगह मिलती थी, लेकिन इस बार उन्हें पीछे की ओर स्थान दिया गया है। बारिश के कारण उनकी परेशानी और बढ़ गई। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने पानी की निकासी की उचित व्यवस्था नहीं की, जिसके कारण उनका सामान नहीं बिक पा रहा है।
हालांकि कुछ देर बाद बारिश रुक गई, लेकिन अगर यह थोड़ी देर और जारी रहती तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती थी। व्यापारियों का कहना है कि मेले की व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है। उन्हें उम्मीद है कि प्रशासन भविष्य के लिए बेहतर इंतजाम करेगा।
प्रशासन पर उठे सवाल
देवी-देवता कारदार संघ के अध्यक्ष दोतराम ठाकुर ने प्रशासन पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि प्रशासन को पहले से ही पानी की निकासी की उचित व्यवस्था करनी चाहिए थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने प्रशासन को इस बारे में अवगत करा दिया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बारिश से देवताओं और देवलुओं को कोई विशेष नुकसान नहीं हुआ है।
कुल्लू दशहरा उत्सव की विशेषता है कि इसमें पूरे कुल्लू घाटी के देवी-देवता शामिल होते हैं। यह उत्सव सात दिनों तक चलता है और देश-विदेश से पर्यटक इसमें भाग लेने आते हैं। इस वर्ष बारिश ने आयोजन को प्रभावित किया, लेकिन उत्साह में कोई कमी नहीं आई।
