Kullu News: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में चल रहे अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के दौरान देवता अजय पाल शनिवार को ढालपुर स्थित पुलिस थाना परिसर पहुंचे। यहां उन्होंने थोड़ी देर विश्राम कर एक दशक पुरानी अनूठी परंपरा का निर्वाह किया। इस दौरान देवता का रथ थाना पहुंचा तो स्थानीय लोगों के बीच काफी उत्सुकता देखी गई। कुल्लू पुलिस ने भी देवता के स्वागत के लिए पूरे थाना परिसर की विशेष सफाई करवाई थी। विश्राम के बाद देवता अपने देवलुओं के साथ भगवान रघुनाथ से मिलन के लिए रवाना हो गए।
देवता के थाने आने के पीछे एक ऐतिहासिक और चमत्कारी घटना है। देवता अजय पाल के पुजारी नूप राम ने बताया कि यह परंपरा एक भक्त को छुड़ाने से जुड़ी हुई है। देवता का एक भक्त खांपू था जो अनाज एकत्र करने का काम करता था। उसने एक व्यक्ति की जमानत दी थी लेकिन वह व्यक्ति पुलिस के सामने पेश नहीं हुआ। इस कारण पुलिस ने खांपू को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी के दौरान ही पहली चमत्कारी घटना घटी। जैसे ही पुलिस खांपू को थाने ले जा रही थी, उसके हाथ की एक हथकड़ी अपने आप टूट गई। जब वह थाना पहुंचा तो दूसरी बेड़ी भी टूट गई। इस दौरान पुलिसकर्मियों ने खांपू के पीछे एक रहस्यमय व्यक्ति को चलते देखा, हालांकि खांपू को कोई नजर नहीं आया। पुलिस ने इसे देवता का चमत्कार माना और खांपू को छोड़ दिया।
इस घटना के बाद खांपू ने उस व्यक्ति को ढूंढ़ निकाला जिसकी उसने जमानत दी थी और उसे पुलिस के हवाले कर दिया। मान्यता है कि थाने में खांपू के साथ स्वयं देवता अजय पाल मौजूद थे और उन्होंने ही अपने भक्त को छुड़ाया था। उसी दिन देवता ने थाना परिसर में विश्राम भी किया था। तब से यह परंपरा चली आ रही है और हर साल दशहरा के मौके पर देवता थाना आकर विश्राम करते हैं।
देवता अजय पाल का इतिहास भी काफी रोचक है। पुजारी नूप राम के अनुसार, देवता मूल रूप से कांगड़ा जिले के बीड़ भंगाल से अपनी पत्नी के साथ कुल्लू आए थे। शुरू में उन्हें कुल्लू का इलाका पसंद नहीं आया। इसके बाद वे पीज और फिर बागन गांव में बसे। उस समय पूरे क्षेत्र में भयंकर सूखा पड़ा था।
देवता के बागन गांव में आने के बाद वहां भरपूर बारिश हुई और लोगों की फसलें बच गईं। इस चमत्कार से प्रभावित होकर ग्रामीणों ने वहां देवता का मंदिर बनवा दिया। तब से देवता अजय पाल इसी इलाके के प्रमुख देवता के रूप में पूजे जाते हैं। उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है।
कुल्लू का अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव अपनी अनूठी परंपराओं के लिए दुनिया भर में मशहूर है। इस दौरान सैकड़ों देवी-देवता ढालपुर मैदान में एकत्रित होते हैं। देवता अजय पाल का थाना आना इस उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। यह परंपरा आस्था और विश्वास का अनोखा उदाहरण प्रस्तुत करती है।
स्थानीय लोग इस परंपरा को बहुत महत्व देते हैं। जब देवता का रथ थाना की ओर जाता है तो लोगों में अपार उत्साह देखा जाता है। शुरू में कुछ लोगों को इस बारे में जानकारी न होने के कारण संशय रहता है। लेकिन देव समाज से जुड़े लोगों से बात करने पर उनकी जिज्ञासा शांत हो जाती है और वे इस परंपरा के महत्व को समझ पाते हैं।
कुल्लू पुलिस भी इस धार्मिक परंपरा का पूरा सम्मान करती है। पुलिस अधिकारी देवता के थाना आगमन की तैयारियां पहले से ही करने लगते हैं। इस बार भी उन्होंने पूरे परिसर की सफाई करवाई और देवता के स्वागत की उचित व्यवस्था की। यह सहयोग पुलिस और स्थानीय समुदाय के बीच सौहार्द का प्रतीक है।
यह अनूठी परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी उसी श्रद्धा के साथ निभाई जा रही है। देवता अजय पाल का थाना आना न सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान है बल्कि यह इतिहास और संस्कृति का जीवंत हिस्सा भी है। यह परंपरा आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल कायम करती है।
