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शनिवार, 23 सितम्बर,2023

जानें क्यों भारत के लिए बेहद खास है आदित्य एल-1 मिशन, यहां पढ़ें अपने सभी सवालों के जवाब

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Aditya L-1 Mission: भारत का सूर्य मिशन आदित्य एल-1 आज श्रीहरिकोटा स्‍पेस सेंटर से लॉन्‍च होने जा रहा है. यह पहला मौका है जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) सूर्य की स्‍टडी के लिए अपना मिशन भेज रहा है.

चंद्रयान-3 की कामयाबी से इसरो के वैज्ञानिक बेहद उत्‍साहित हैं. यही वजह है कि अब बिना देरी किए वो सूर्य मिशन को कामयाब बनाने में जुटे हैं. सूर्य मिशन क्‍या है? भारत का ‘आदित्य’ सूरज पर लैंड होने वाला है? इस मिशन का मकसद क्‍या है? आइये हम आपको इन सभी सवालों के जवाब मुहैया कराते हैं.

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Question: क्‍यों भेजा जा रहा सूर्य मिशन?

Answer: जैसे चंद्रयान मिशन को चांद की स्‍टडी के लिए भेजा गया है. ठीक वैसे ही सूर्य मिशन आदित्‍य एल-1 को सूरज की स्‍टडी के लिए भेजा जा रहा है. इस मिशन के माध्‍यम से सूरज के रहस्‍यों को जानने का प्रयास किया जाएगा.

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Question: क्‍या सूरज पर उतरेगा आदित्‍य एल-1?

Answer: नहीं, इसरो की मंशा भारत के आदित्‍य एल-1 को सूरज पर उतारने की नहीं है. सूरज बेहद गर्म होता है. वहां, किसी यान को भेजा नहीं जा सकता है. इसरो केवल सूरज की कक्षा में एक सेटेलाइट भेज रहा है, जिसका काम सूर्य की स्‍टडी करना है.

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Question: कहां से आया आदित्‍य एल-1 नाम?

Answer: इसरो के मुताबिक सूरज का संस्‍कृत मान आदित्‍य होता है, जिसे देखते हुए मिशन के नाम में आदित्‍य शब्‍द को जोड़ा गया. वहीं, एल-1 नाम सूजर की कक्षा से लिया गया है. दरअसल, सूरज के लैग्रेंज प्वाइंट 1 वाली कक्षा में रहते हुए भारत का सूर्य मिशन सेटेलाइट चक्‍कर लगाने वाला है. इसीलिए एल-1 नाम को इसमें जोड़ा गया.

Question: सूर्य मिशन का क्‍या है मकसद?

Answer: इसरो अपने सूर्य मिशन के जरिए सूरज की गतिशीलता का अध्ययन करेगा. इसके अलावा आदित्‍य एल-1 सूर्य के कण गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करेगा. साथ ही वो इन-सीटू पार्टिकल और प्लाज्मा वातावरण का अध्ययन करेगा. यह सूर्य के वायुमंडल के सबसे बाहरी भाग की बनावट, तापमान प्रक्रिया, सौर तूफान की उत्पत्ति, कोरोनल लूप प्लाज्मा की बनावट आदि की जांच करेगा.

Question: कितने साल तक काम करेगा आदित्‍य एल-1?

Answer: भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) के अनुसार एक सेटेलाइट की औसत उम्र पांच साल तक होती है, लेकिन ईंधन की खपत के आधार पर यह इससे भी लंबे वक्‍त तक काम कर सकता है. आदित्‍य एल-1 का 190 किलोग्राम का वीईएलसी पेलोड पांच साल तक पृथ्‍वी पर भारत के स्‍पेस सेंटर को सूरज की तस्‍वीरें भेजेगा.

Question: पृथ्‍वी से कितनी दूरी तय करेगा सोर्य मिशन?

Answer: इसरो के मुताबिक भारत का ‘आदित्‍य’ सूरज की स्‍टडी के लिए जिस लैग्रेंज प्वाइंट 1 पर जा रहा है वो पृथ्‍वी से 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है. इस दूरी को तय करने में करीब चार महीने का वक्‍त लगेगा, जिसके बाद वो अगले पांच साल तक वहां स्‍टडी करेगा.[/ans]

Question: कब इसरो को मिलनी शुरु होगी सूर्य की जानकारी?

Answer: भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के अनुसार जनवरी के मध्य में आदित्‍य एल-1 उपग्रह को सूरज की कक्षा में स्थापित किए जाने की उम्मीद है. फिर परीक्षण किया जाएगा कि क्या सभी सिस्टम ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं. फरवरी के अंत तक इसरो को नियमित डेटा मिलने की उम्मीद है.

Question: सूर्य पर कितने मिशन भेजे गए?

Answer: भले ही इसरो का यह पहला सौर्य मिशन हो लेकिन अबतक सूरज की स्‍टडी के लिए दुनिया भर के देशों ने मिलाकर कुल 22 मिशन भेजे हैं. इस मामले में सर्वाधिक 14 मिशन के साथ अमेरिका का नासा पहले स्‍थान पर है.

Question: एक दिन में कितनी तस्‍वीरें भेजेगा आदित्‍य एल-1

Answer: आदित्य एल-1 परियोजना से जुड़ी वैज्ञानिक और वीईएलसी की संचालन प्रबंधक डॉ मुथु प्रियल ने पीटीआई को बताया, ‘इमेज चैनल से प्रति मिनट एक तस्‍वीर ली जस कसती है. लिहाजा प्रति दिन 24 घंटों के दौरान यह मिशन लगभग 1,440 तस्‍वीरें ग्राउंड स्टेशन को भेज सकता है.

Question: किन उपकरणों से आदित्‍य एल-1 करेगा जांच?

Answer: इसरो का आदित्य L1 मिशन सौर्य ऊर्जा से चलेगा. वो स्पेसक्राफ्ट के पेलोड (उपकरण) फ़ोटोस्फ़ेयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का अध्ययन करेंगे.

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