शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

कीरतपुर-मनाली फोरलेन: केंद्र ने जताई बड़ी आशंका, कहा- आने वाला मानसून कर सकता है तबाह

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Himachal News: केंद्र सरकार ने कीरतपुर-मनाली फोरलेन को लेकर हिमाचल प्रदेश सरकार को चेतावनी भरा पत्र भेजा है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री अजय टम्टा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को लिखे पत्र में कहा है कि जल्द वैज्ञानिक हस्तक्षेप नहीं किया गया तो आने वाला मानसून इस मार्ग को बड़े पैमाने पर तबाह कर सकता है।

मंत्रालय ने वर्ष 2023 और 2025 में आई आपदाओं का हवाला देते हुए मार्ग की स्थिति को बेहद चिंताजनक बताया है। ब्यास नदी की बदलती धारा, बढ़ती गाद और अनियोजित निर्माण को मुख्य समस्या बताया गया है।

सेना और आपदा राहत के लिए महत्वपूर्ण है मार्ग

केंद्र केपत्र में कहा गया है कि यह मार्ग न केवल पर्यटन और व्यापार के लिए बल्कि सेना की आवाजाही और आपदा राहत कार्यों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। मार्ग की सुरक्षा में देरी से भारी नुकसान हो सकता है। मंत्रालय ने मुख्यमंत्री से व्यक्तिगत हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।

मंत्रालय ने सभी विभागों को एक मंच पर लाकर संयुक्त कार्रवाई सुनिश्चित करने की सलाह दी है। इससे आने वाले महीनों में संभावित जन-धन हानि को रोका जा सकेगा।

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एनएचएआई ने बताई थी ड्रेजिंग की जरूरत

मंत्रालय नेबताया कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने कई बार मंडी और कुल्लू जिला प्रशासन को तुरंत वैज्ञानिक ड्रेजिंग की आवश्यकता बताई थी। कार्रवाई न होने से खतरा अब कई गुना बढ़ चुका है। आईआईटी मंडी, आईआईटी रुड़की और आईआईटी रोपड़ की रिपोर्ट में भी स्पष्ट कहा गया है।

रिपोर्ट्स के अनुसार गाद निकासी ही बाढ़ जोखिम को कम करने का मूल समाधान है। बीआरओ ने भी इस बात की पुष्टि की है। विशेषज्ञों ने तत्काल कार्रवाई की सिफारिश की है।

नालों में चेकडैम का अभाव

मनालसू,एलेओ, सरवरी, पार्वती, हुरलाह, सैंज और तीर्थन जैसी सहायक नदियों में चेकडैम और ऊर्जा-विघटन संरचनाओं का अभाव बताया गया है। हर वर्ष भारी मात्रा में मलबा और बोल्डर सीधे ब्यास नदी में पहुंच रहे हैं। इससे नदी का बहाव प्रभावित हो रहा है।

केंद्र ने 2026 के मानसून से पहले इन संरचनाओं के निर्माण को अनिवार्य बताया है। इनके बिना हर बरसात मार्ग के लिए विनाशकारी साबित होगी। समय रहते उपाय जरूरी हैं।

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अनियोजित निर्माण से बढ़ रहा खतरा

मंत्रालय ने कीरतपुर-मनाली, चंडीगढ़-शिमला और पठानकोट-मंडी फोरलेन के किनारे तेजी से बढ़ते अनियोजित निर्माण को गंभीर खतरा बताया है। अतिक्रमण और मास्टर प्लान की अनुपस्थिति से सड़क की नींव कमजोर हो रही है। इससे भूस्खलन और जलभराव की संभावना बढ़ रही है।

पत्र में कहा गया है कि इन समस्याओं के समाधान के लिए समन्वित प्रयास की आवश्यकता है। सभी संबंधित विभागों को मिलकर काम करना होगा। तभी बड़ी आपदा को टाला जा सकता है।

पहले भी हुई है भारी क्षति

वर्ष 2023 की आपदा में कीरतपुर-मनाली फोरलेन को 700 करोड़ रुपये से अधिक की क्षति हुई थी। इस वर्ष यह क्षति 1000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा ने सितंबर में इस मार्ग का निरीक्षण किया था।

उन्होंने व्यक्तिगत रूप से आपदा से हुए नुकसान का जायजा लिया था। प्रधान सचिव लोक निर्माण विभाग की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रस्ताव कैबिनेट को भेजने का निर्णय लिया गया था। अब तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।

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