Jammu News: कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के विरोध में आज जम्मू में काला दिवस मनाया गया। पनुन कश्मीर मंच के तहत लोगों ने एकत्र होकर सरकार से न्याय मांगा। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने 1990 के नरसंहार को आधिकारिक मान्यता देने की मांग की। एक घोषणापत्र जारी हुआ, जिसमें पुनर्वास, मंदिरों की बहाली और केंद्रशासित प्रदेश की मांग शामिल थी। यह आयोजन पीड़ितों के दर्द को उजागर करने का प्रयास था।
नरसंहार को आधिकारिक मान्यता की मांग
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि 1990 का नरसंहार सुनियोजित हिंसा थी। उन्होंने सरकार से इसे आधिकारिक रूप से नरसंहार घोषित करने की मांग की। जैन ने कहा कि यह केवल विस्थापन नहीं, बल्कि एक समुदाय के खिलाफ क्रूर हमला था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की घोषणा की। उनका कहना था कि यह लड़ाई सिर्फ अदालत की नहीं, बल्कि कश्मीरी पंडितों के सम्मान और अस्तित्व की है।
मंदिरों की बहाली का आग्रह
जैन ने जोर देकर कहा कि नष्ट हुए मंदिरों को पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के तहत बहाल किया जाए। उन्होंने इसे सांस्कृतिक हमले का प्रतीक बताया। मंदिरों का पुनर्निर्माण कश्मीरी पंडितों की सांस्कृतिक पहचान को पुनर्जनन देगा। यह मांग घोषणापत्र का अहम हिस्सा थी। आयोजन में शामिल लोगों ने इस मांग को जोर-शोर से उठाया। यह कदम समुदाय के दर्द को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पनुन कश्मीर: केंद्रशासित प्रदेश की मांग
घोषणापत्र में पनुन कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग दोहराई गई। यह कश्मीरी पंडितों को उनकी मूलभूमि में सम्मानजनक वापसी का रास्ता देगा। वक्ताओं ने कहा कि यह सिर्फ पुनर्वास नहीं, बल्कि समुदाय के खोए हुए गौरव की बहाली है। 1990 में हजारों परिवारों को विस्थापित होना पड़ा था। इस मांग ने आयोजन में आए लोगों में नई उम्मीद जगाई।
सुप्रीम कोर्ट में जाएगी बात
विष्णु शंकर जैन ने ऐलान किया कि वह इन मांगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों का दर्द अब और अनदेखा नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट में याचिका के जरिए वह नरसंहार को मान्यता और पुनर्वास की मांग रखेंगे। यह कदम पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। आयोजन में शामिल लोग इस कानूनी लड़ाई का समर्थन कर रहे हैं।
