Kasauli News: ब्रिटिश काल में बना कसौली का ऐतिहासिक पावर हाउस अब बदहाली का शिकार है। एक समय शहर की जीवनरेखा रही यह इमारत आज उपेक्षा के कारण धूल फांक रही है। कैंटोनमेंट बोर्ड द्वारा इसे विद्युत विभाग से वापस लेने के बाद यह धरोहर लावारिस हो गई है। इस फैसले से स्थानीय निवासियों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
यह पावर हाउस कैंट बोर्ड की जमीन पर 1931 में बनाया गया था। यह आजादी से पहले से ही कसौली के लिए बिजली आपूर्ति का मुख्य केंद्र था। बाद में यह हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड के अधीन आ गया। यहां बिजली बोर्ड का कार्यालय स्थापित किया गया था।
कसौली में बिजली से जुड़ी सभी गतिविधियां इसी कार्यालय से संचालित होती थीं। इनमें बिल जमा करना और नए कनेक्शन लेना शामिल था। कैंट बोर्ड ने कुछ समय पहले यह जमीन और इमारत वापस ले ली। इसके बाद बिजली विभाग ने अपना कार्यालय कसौली से दूर देवरी गांव में शिफ्ट कर दिया।
अब स्थानीय लोगों को एक किराए के कमरे में चल रहे नए कार्यालय तक पहुंचने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इससे लोगों में प्रशासन के इस फैसले के प्रति गहरा रोष है। लोगों का कहना है कि इससे उनकी दैनिक दिक्कतें काफी बढ़ गई हैं।
कसौली के विकास से जुड़ा है गौरवशाली इतिहास
इस पावर हाउस का इतिहास कसौली के विकास से सीधे जुड़ा हुआ है। दस्तावेजों के अनुसार कसौली इलेक्ट्रिक सप्लाई कंपनी की स्थापना 1948 में हुई थी। लेकिन बिजली घर का उल्लेख 1931 से ही मिलता है।
इसका निर्माण ब्रिटिश काल में मुख्य रूप से केंद्रीय अनुसंधान संस्थान की बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया था। यह इमारत शहर के औद्योगिक इतिहास की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
बुजुर्गों की यादों में जिंदा है पावर हाउस का वक्त
इलाके के बुजुर्गों ने पुराने दिनों की यादें साझा की हैं। 1950 के दशक में यह पावर हाउस पूरे कसौली का एकमात्र बिजली स्रोत था। एक स्थानीय बुजुर्ग ने बताया कि श्रीधीर नाम के व्यक्ति यहां जनरेटर के इंचार्ज थे।
उस समय कसौली जैसे छोटे शहर में जनरेटर से बिजली बनाना एक आधुनिक तकनीक मानी जाती थी। लोग जनरेटर की सफाई के बाद बचे तेल से सने कपास के कचरे को इकट्ठा करते थे। इस कचरे से घर का चूल्हा और अंगीठी जलती थी।
1960 के दशक की शुरुआत में भाखड़ा से बिजली आपूर्ति शुरू हुई। इसके बाद इस पावर हाउस का इस्तेमाल धीरे-धीरे कम हो गया। अंततः यह पूरी तरह से बंद हो गया। फिर भी यह इमारत शहर की यादों का एक अहम हिस्सा बनी रही।
म्यूजियम बनाने की उठ रही है मांग
आज यह ऐतिहासिक इमारत वीरान पड़ी है। इसके अंदर रखी बिजली विभाग की पुरानी मशीनें और उपकरण जर्जर हालत में हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन को इस धरोहर के प्रति उदासीन रवैया नहीं अपनाना चाहिए।
लोगों का सुझाव है कि इस पावर हाउस को एक सुंदर म्यूजियम में तब्दील किया जा सकता है। इस म्यूजियम में कसौली के बिजली के इतिहास और पुरानी मशीनों को प्रदर्शित किया जा सकता है। शहर के विकास से जुड़ी चीजों को भी यहां रखा जा सकता है।
यह कदम न केवल इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाएगा बल्कि कसौली में पर्यटन के लिए एक नया आकर्षण भी पैदा करेगा। हिमाचल प्रदेश टूरिज्म के लिए यह एक महत्वपूर्ण एडिशन हो सकता है। अब सवाल यह है कि प्रशासन इस मांग पर ध्यान देगा या नहीं।
