Karnataka News: कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वित्तपोषण के तरीकों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्टीकरण मांगा है। भागवत ने कहा था कि संगठन पूरी तरह से स्वयंसेवकों के योगदान से चलता है। खरगे ने इस दावे पर कई सवाल खड़े किए।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के पुत्र प्रियांक खरगे ने सोमवार को यह बयान दिया। उन्होंने पूछा कि ये स्वयंसेवक कौन हैं और उनकी पहचान कैसे की जाती है। उन्होंने चंदे की राशि और प्रकृति के बारे में भी जानकारी मांगी। मंत्री ने धन एकत्र करने के तरीकों पर भी सवाल उठाए।
पारदर्शिता पर सवाल
मंत्री प्रियांक खरगे ने पूछा कि अगर आरएसएस पारदर्शी तरीके से काम करता है तो चंदा सीधे संगठन को क्यों नहीं दिया जाता। उन्होंने जानना चाहा कि बिना पंजीकरण के संगठन ने अपना वित्तीय ढांचा कैसे बनाए रखा। उनके सवालों ने संघ के कामकाज पर नई बहस छेड़ दी है।
खरगे ने पूछा कि पूर्णकालिक प्रचारकों को वेतन कौन देता है। संगठन के नियमित खर्चे कौन उठाता है। बड़े आयोजनों और अभियानों का वित्तपोषण कैसे होता है। उन्होंने कहा कि ये सवाल पारदर्शिता और जवाबदेही के मूलभूत मुद्दे उठाते हैं।
स्थानीय कार्यालयों के खर्चे
मंत्री ने स्वयंसेवकों द्वारा स्थानीय कार्यालयों से गणवेश खरीदने का मुद्दा उठाया। उन्होंने पूछा कि धन का हिसाब कहां रखा जाता है। स्थानीय कार्यालयों के रखरखाव का खर्च कौन वहन करता है। उन्होंने संघ की व्यापक राष्ट्रीय उपस्थिति के बावजूद पंजीकरण न होने पर आश्चर्य जताया।
प्रियांक खरगे ने कहा कि भारत में हर धार्मिक संस्था को वित्तीय पारदर्शिता बनाए रखना जरूरी है। उन्होंने पूछा कि आरएसएस के लिए ऐसी जवाबदेही व्यवस्था क्यों नहीं है। उनके इन सवालों ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज कर दी है।
मोहन भागवत का बयान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को एक बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि संगठन को व्यक्तियों के समूह के रूप में मान्यता प्राप्त है। भागवत ने कहा था कि आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी। उस समय ब्रिटिश सरकार के पास पंजीकरण कराने की उम्मीद नहीं की जा सकती थी।
संघ प्रमुख ने कहा था कि आजादी के बाद भारत सरकार ने पंजीकरण अनिवार्य नहीं बनाया। उनके इस बयान के बाद ही प्रियांक खरगे ने सवाल उठाए हैं। अब यह मामला राजनीतिक बहस का विषय बन गया है। विभिन्न दलों की प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
प्रियांक खरगे के इन सवालों ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। कांग्रेस पार्टी ने लंबे समय से आरएसएस के कामकाज पर सवाल उठाए हैं। भाजपा नेता अभी तक इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच यह नया विवाद बन सकता है।
कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है और केंद्र में भाजपा की सरकार है। ऐसे में यह मामला राज्य और केंद्र के बीच तनाव का कारण बन सकता है। अब देखना है कि आरएसएस की ओर से इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है। मोहन भागवत के बयान के बाद यह विवाद नए सिरे से शुरू हुआ है।
