Karnataka News: कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में तीन मुस्लिम युवकों के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द कर दिया। इन पर जामखंडी के रामतीर्थ मंदिर परिसर में इस्लामी शिक्षाओं का प्रचार करने और पर्चे बांटने का आरोप था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल धार्मिक विचारों का प्रचार करना अपराध नहीं है, जब तक कि धर्मांतरण का ठोस सबूत न हो। यह मामला 4 मई 2025 का है।
कोर्ट का फैसला: प्रचार अपराध नहीं
कर्नाटक हाईकोर्ट की एकल पीठ, जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति वेंकटेश नाइक टी ने की, ने कहा कि इस्लाम की शिक्षाओं के बारे में जानकारी देना या पर्चे बांटना अपराध की श्रेणी में नहीं आता। कोर्ट ने पाया कि तीनों युवकों द्वारा जबरन या प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने का कोई सबूत नहीं है। इस आधार पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 299, 351(2), 3(5) और कर्नाटक धर्म स्वतंत्रता अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2022 की धारा 5 के तहत दर्ज FIR को खारिज कर दिया गया।
शिकायत में क्या था आरोप?
4 मई 2025 को जामखंडी के रामतीर्थ मंदिर में एक शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि कुछ युवक इस्लाम के बारे में पर्चे बांट रहे थे। उन्होंने दावा किया कि युवकों ने हिंदू धर्म के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं और मंदिर में मौजूद लोगों को इस्लाम अपनाने के लिए गाड़ी और दुबई में नौकरी का लालच दिया। इन आरोपों के आधार पर पुलिस ने युवकों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
वकील ने दी यह दलील
युवकों की ओर से पेश वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि उनके मुवक्किल का इरादा केवल इस्लाम की शिक्षाओं का प्रचार करना था। उन्होंने कहा कि युवकों ने किसी को जबरन धर्म बदलने के लिए मजबूर नहीं किया। वकील ने जोर दिया कि FIR में लगाए गए आरोपों का कोई ठोस सबूत नहीं है। कोर्ट ने इन दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि धार्मिक विचारों का प्रचार, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, तब तक अपराध नहीं है, जब तक कि धर्मांतरण का इरादा साबित न हो।
