Karnataka News: कर्नाटक सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए राज्य की अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी के भीतर आंतरिक आरक्षण लागू करने को मंजूरी दे दी है। इसके तहत 101 जातियों को तीन अलग-अलग वर्गों में बांटा जाएगा। राज्य कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर मंगलवार को हुई एक विशेष बैठक में चर्चा के बाद सहमति जताई।
कैबिनेट का महत्वपूर्ण निर्णय
मुख्यमंत्री सिद्दरमैया की अध्यक्षता में हुई बैठक में जस्टिस एचएन नागमोहन दास आयोग की रिपोर्ट पर विचार किया गया। इस आयोग ने ही आंतरिक आरक्षण के ढांचे पर सिफारिशें पेश की थीं। आयोग ने 4 अगस्त को अपनी विस्तृत रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी।
आरक्षण का नया बंटवारा
सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट ने आयोग की सिफारिशों में कुछ संशोधन किए हैं। नए फॉर्मूले के अनुसार, एससी (दक्षिणपंथी) और एससी (वामपंथी) समूहों को प्रत्येक को 6-6 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। ‘स्पृश्य’ दलित समुदायों और अति पिछड़े समुदायों के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण आरक्षित रखा गया है।
आयोग की मूल सिफारिशें
माना जा रहा है कि आयोग ने मूल रूप से पांच श्रेणियां बनाने का सुझाव दिया था। इनमें सबसे पिछड़े समुदायों के लिए 1%, मडिगा समुदाय के लिए 6%, होलेया समुदाय के लिए 5%, स्पृश्य समुदाय के लिए 4% और अन्य समुदायों के लिए 1% आरक्षण की सिफारिश शामिल थी।
सरकार की चुप्पी और आगे की राह
विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने बैठक को सार्थक बताया। उन्होंने कहा कि सभी एससी समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले मंत्री संतुष्ट हैं। हालांकि, विधानसभा सत्र चलने के कारण अभी सभी विवरण सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। मुख्यमंत्री जल्द ही सदन में आधिकारिक बयान देंगे।
