Bengaluru News: कर्नाटक की राजधानी में खाकी पर गंभीर दाग लगे हैं। पुलिस हिरासत में एक दलित युवक की संदिग्ध मौत के बाद महकमे में हड़कंप मच गया है। सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच सीआईडी (CID) को सौंप दी है। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए एक इंस्पेक्टर और तीन अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। आरोपियों पर एससी/एसटी एक्ट (SC/ST Act) और अवैध हिरासत की धाराएं भी लगाई गई हैं।
शरीर पर मिले चोट के निशान
विवेकनगर के रहने वाले 22 साल के दर्शन पी जी की मौत 26 नवंबर को हुई थी। वह शहर के बाहर स्थित यूनिटी सोशल सर्विस ट्रस्ट रिहैबिलिटेशन सेंटर में भर्ती थे। दर्शन के परिवार ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पुलिस ने दर्शन की बेरहमी से पिटाई की थी। उन्होंने युवक का इलाज भी नहीं कराया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी शरीर पर चोट के निशान मिले हैं, जो परिवार के दावों को सच साबित करते हैं।
सांस की दिक्कत बताकर पल्ला झाड़ा
रिहैबिलिटेशन सेंटर ने 26 नवंबर को परिवार को दर्शन की मौत की खबर दी। सेंटर के अधिकारियों ने दावा किया कि मौत सांस की तकलीफ से हुई है। उन्होंने शव को नेलमंगला सरकारी अस्पताल भेज दिया था। लेकिन शरीर पर मौजूद निशानों ने इस थ्योरी को खारिज कर दिया। इसके बाद दर्शन की मां आदिलक्ष्मी ने मदनायकनहल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। अब कर्नाटक पुलिस ने कस्टोडियल डेथ के इस मामले में सख्त एक्शन लिया है।
मां से पैसे लेकर रिहैब सेंटर भेजा
मृतक की मां आदिलक्ष्मी ने पुलिस की कार्यप्रणाली की पोल खोल दी है। उन्होंने बताया कि विवेकनगर पुलिस ने 12 नवंबर की रात दर्शन को हिरासत में लिया था। उस पर नशे में हंगामा करने का आरोप था, लेकिन कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी। जब मां जमानत के लिए गई, तो पुलिस ने जेल भेजने की धमकी दी। इसके बाद पुलिस ने 7,500 रुपये लिए और दर्शन को 16 नवंबर को रिहैबिलिटेशन सेंटर भेज दिया। वहां 10 दिन बाद उसकी मौत हो गई।
इंस्पेक्टर और रिहैब मालिक नामजद
इस मामले में विवेकनगर थाने के इंस्पेक्टर शिवकुमार और कांस्टेबल पवन मुख्य आरोपी हैं। उनके अलावा दो अन्य अधिकारियों और रिहैबिलिटेशन सेंटर के मालिक पर भी केस दर्ज हुआ है। दर्शन पहले ऑफिस बॉय का काम करता था और एक बच्ची का पिता था। उसे पांच महीने पहले भी एक मामले में गिरफ्तार किया गया था और वह 28 सितंबर को ही जेल से बाहर आया था।
