Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों के बाहर नेम प्लेट और QR कोड लगाने का विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। याचिकाकर्ताओं ने इसे धार्मिक भेदभाव का प्रयास बताया। कोर्ट ने यूपी सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक से इनकार किया। जस्टिस एमएम सुंदरेश ने कहा कि सभी दुकानें लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन प्रदर्शित करें। कांवड़ यात्रा के अंतिम दिन कोई बड़ा आदेश नहीं दिया गया।
अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलें
अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा कि QR कोड का मकसद दुकानदारों की धार्मिक पहचान उजागर करना है। उन्होंने इसे समाज को धर्म के आधार पर बांटने वाला कदम बताया। सिंघवी ने तर्क दिया कि खाने की गुणवत्ता मेन्यू कार्ड से पता चलती है, न कि मालिक के नाम से। कांवड़ यात्रा के दौरान सभी दुकानें शाकाहारी भोजन परोसती हैं, जिसे मेन्यू से सत्यापित किया जा सकता है।
जस्टिस सुंदरेश का जवाब
जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि शुद्ध शाकाहारी लोग मिश्रित भोजन वाली दुकानों से बच सकते हैं। उन्होंने तर्क दिया कि ग्राहकों को यह जानने का हक है कि दुकान सालभर शाकाहारी है या सिर्फ कांवड़ यात्रा के लिए। यह लोगों की मानसिकता का मसला है। जस्टिस ने मार्क्स के कथन “धर्म अफीम है” का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘हम ज्यादा कुछ नहीं कहेंगे. मार्क्स ने सही कहा है कि धर्म अफीम है।’ उन्होंने कहा कि सालभर मांसाहारी भोजन परोसने वाली दुकानों की जानकारी ग्राहकों को मिलनी चाहिए।
हुजैफा अहमदी की दलीलें
हुजैफा अहमदी ने कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान सभी दुकानें शाकाहारी भोजन परोसती हैं। दुकानदार की धार्मिक पहचान का खाने की गुणवत्ता से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने QR कोड को समुदाय विशेष को अछूत बनाने की कोशिश बताया। अहमदी ने कहा कि लाइसेंस में भोजन का प्रकार स्पष्ट होता है। दुकान के नाम से पहचान होती है, न कि मालिक के नाम से।
कोर्ट की टिप्पणी और आदेश
जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि कुछ लोग सालभर शाकाहारी भोजन परोसने वाली दुकानों को प्राथमिकता देते हैं। कोर्ट ने कांवड़ यात्रा के अंतिम दिन होने के कारण कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया। सभी होटल और रेस्टोरेंट को वैधानिक लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया। कोर्ट ने अन्य मुद्दों पर विचार टाल दिया। अगली सुनवाई जल्द होगी।
