शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

कांगड़ा बैंक: सदी पुराने सहकारी बैंक में स्थायी प्रबंध निदेशक का संकट, अतिरिक्त कार्यभार से चलाया जा रहा काम

Share

Kangra News: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा सहकारी बैंक (केसीसी बैंक) ने अपना शताब्दी वर्ष पूरा कर लिया है, लेकिन यह संस्थान एक गंभीर संकट से जूझ रहा है। बैंक लंबे समय से स्थायी प्रबंध निदेशक के बिना चल रहा है। प्रबंधन का कार्यभार विभिन्न अधिकारियों पर बारी-बारी से डाला जा रहा है। इस अनिश्चितता ने बैंक के कर्मचारियों और ग्राहकों में चिंता पैदा कर दी है।

बैंक की वित्तीय स्थिति पर इस अस्थिरता के प्रभाव को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की जा रही है। पांच जिलों में फैली बैंक की 216 शाखाओं से लगभग सवा लाख खाताधारक जुड़े हुए हैं। साथ ही, डेढ़ हजार सहकारी समितियों की जमा पूंजी भी इसी बैंक में है। इतने बड़े नेटवर्क वाले संस्थान में नेतृत्व का अभाव एक गंभीर मुद्दा बन गया है।

हाल ही में, सेटलमेंट अधिकारी संदीप कुमार के स्थान पर नगर निगम धर्मशाला के कमिश्नर जफर इकबाल को अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। यह निर्णय बैंक के भीतर चल रही उथल-पुथल को और बढ़ा देता है। लगातार बदलते प्रभारी अधिकारियों से कर्मचारियों के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

यह भी पढ़ें:  हिमाचल एनटीटी भर्ती: 6,297 नर्सरी शिक्षक पदों पर भर्ती फिर रुकी, जानें क्या बताया जा रहा कारण

बैंक से जुड़े लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। वे जानना चाहते हैं कि आखिर बैंक की प्रबंधन व्यवस्था में ऐसा क्या चल रहा है। खाताधारक, अधिकारी और सहकारी समितियों के प्रतिनिधि बैंक के भविष्य को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं। उनका भरोसा बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है।

पिछले कुछ समय में बैंक में हुई ऋण अनियमितताओं ने इस संकट को और गहरा दिया है। वित्तीय अनियमितताओं के मामलों ने संस्थान की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे में, सरकार से इस मसले पर त्वरित और मजबूत निर्णय लेने की अपेक्षा की जा रही है।

बैंक के संचालन पर इस अस्थिरता का सीधा असर पड़ सकता है। नियमित प्रबंधन के अभाव में दीर्घकालिक रणनीतियां और योजनाएं प्रभावित होती हैं। इससे बैंक की सेवाओं और लाभार्थियों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है। स्थिति को संभालने के लिए ठोस कदमों की जरूरत है।

यह भी पढ़ें:  हिमाचल प्रदेश: पंचायत चुनाव में देरी पर हाईकोर्ट पहुंची याचिका, आज होगी सुनवाई

भविष्य की राह

एक सदी पुराने इस वित्तीय संस्थान के समक्ष यह एक निर्णायक मोड़ है। सरकार और बैंक प्रबंधन दोनों को मिलकर इस चुनौती का समाधान निकालना होगा। एक स्थायी और कुशल प्रबंध निदेशक की नियुक्ति इस दिशा में पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

स्थानीय अर्थव्यवस्था में बैंक की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए इस मामले में देरी उचित नहीं है। हजारों लोगों की जमा पूंजी और सहकारी समितियों का भविष्य इसी पर निर्भर करता है। जनता के विश्वास को पुनः स्थापित करना अब सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

Read more

Related News