शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

कंगना रनौत: अदालत ने मानहानि मामले में व्यक्तिगत पेशी का दिया आदेश, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की अर्जी खारिज

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Bathinda News: एक स्थानीय अदालत ने अभिनेत्री और सांसद कंगना रनौत को मानहानि के मामले में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है। अदालत ने 27 अक्टूबर को उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति अनिवार्य की है। न्यायालय ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यवाही में शामिल होने के उनके अनुरोध को खारिज कर दिया है। यह मामला कंगना रनौत के एक रीट्वीट से जुड़ा हुआ है।

मामला वर्ष 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान की गई टिप्पणी से संबंधित है। रनौत ने बठिंडा जिले के बहादुरगढ़ जंडियान गांव की निवासी महिंदर कौर के बारे में एक ट्वीट रीट्वीट किया था। इस ट्वीट में उन्होंने अपनी व्यक्तिगत टिप्पणी भी जोड़ी थी। अब यह मामला कानूनी प्रक्रिया से गुजर रहा है।

अदालत का महत्वपूर्ण निर्णय

कंगना रनौत के कानूनी प्रतिनिधि ने शारीरिक रूप से अदालत में पेश होने से छूट के लिए आवेदन दिया था। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई में शामिल होने की अनुमति मांगी थी। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। न्यायालय ने 27 अक्टूबर को व्यक्तिगत उपस्थिति अनिवार्य करार दी।

महिंदर कौर के वकील रघुबीर सिंह बेनीवाल ने कंगना के आवेदन का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि कानून मामले के शुरुआती चरण में आरोपी को पेशी से छूट देने का प्रावधान नहीं करता। बेनीवाल ने अदालत से रनौत की उपस्थिति सुनिश्चित करने का अनुरोध किया। उन्होंने पेश न होने पर गिरफ्तारी वारंट जारी करने का सुझाव भी दिया।

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मामले की पृष्ठभूमि

73 वर्षीय महिंदर कौर ने कंगना रनौत के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि हिमाचल प्रदेश के मंडी से भाजपा सांसद कंगना रनौत ने उन्हें ट्विटर पर गलत तरीके से पहचाना। रनौत ने उन्हें शाहीन बाग की बिलकिस बानो बताया था। यह पोस्ट अब एक्स कहलाने वाले प्लेटफॉर्म पर की गई थी।

बठिंडा में दायर शिकायत में कौर ने रनौत पर झूठे बयान देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि रनौत ने उनकी तुलना एक अन्य महिला से की। कंगना ने दावा किया था कि महिंदर कौर वही बुजुर्ग महिला हैं जिसने शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था। यह दावा पूरी तरह से गलत साबित हुआ।

उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में प्रक्रिया

इससे पहले पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में मामला खारिज करने की मांग की गई थी। कंगना रनौत ने मामले को खारिज करने के लिए आवेदन दिया था। उच्च न्यायालय ने इस आवेदन को खारिज कर दिया। इसके बाद रनौत ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया। वह निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील लेकर गई थीं।

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12 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि यह सिर्फ एक रीट्वीट नहीं था। कंगना रनौत ने इसमें अपनी व्यक्तिगत टिप्पणी जोड़ी थी। इस टिप्पणी के बाद स्थिति बदल गई। सर्वोच्च न्यायालय की इस टिप्पणी के बाद रनौत ने अपनी याचिका वापस ले ली।

कानूनी विशेषज्ञों की राय

विधिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला सोशल मीडिया पर की जाने वाली टिप्पणियों की जिम्मेदारी से जुड़ा है। सार्वजनिक व्यक्तियों द्वारा सोशल मीडिया पर दी गई टिप्पणियों की कानूनी जिम्मेदारी होती है। गलत जानकारी फैलाने पर मानहानि का मामला बन सकता है। इस मामले में अदालत का निर्णय भविष्य के लिए महत्वपूर्ण मिसाल कायम करेगा।

मामले की अगली सुनवाई 27 अक्टूबर को होनी है। इस दिन कंगना रनौत को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होना होगा। दोनों पक्ष अपने-अपने दस्तावेज और सबूत पेश करेंगे। न्यायालय आग की कार्यवाही का रास्ता तय करेगा। कानूनी प्रक्रिया के अनुसार मामले की विस्तृत सुनवाई होगी।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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