शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

कंगना रनौत: मंडी की सांसद के खिलाफ आगरा कोर्ट में चलेगा राष्ट्रद्रोह का मुकदमा, जानें क्या है पूरा मामला

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश के मंडी से बीजेपी सांसद कंगना रनौत के खिलाफ आगरा कोर्ट में एक महत्वपूर्ण मामला चल रहा है। बुधवार को आगरा कोर्ट ने उनके खिलाफ दायर रिवीजन याचिका को स्वीकार कर लिया। अब यह मामला स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई के लिए जाएगा। अगली सुनवाई 29 नवंबर 2025 को होगी।

वादी अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने 11 सितंबर 2024 को यह मामला दर्ज कराया था। आरोप है कि कंगना रनौत ने 26 अगस्त 2024 के एक इंटरव्यू में किसानों और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति अपमानजनक टिप्पणी की। इससे किसानों और देशवासियों की भावनाएं आहत हुईं।

कोर्ट की कार्यवाही और अगली तारीख

स्पेशल जज लोकेश कुमार की अदालत में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया। कोर्ट ने 29 नवंबर 2025 को अगली सुनवाई की तारीख निर्धारित की। अदालत ने आदेश दिया कि कंगना रनौत को उस दिन पेश होने के लिए तलब किया जा सकता है।

यह मामला किसानों और महात्मा गांधी के प्रति कथित अपमानजनक बयानों से संबंधित है। वादी पक्ष का दावा है कि कंगना के बयानों से राष्ट्रद्रोह का अपराध बनता है। कोर्ट ने रिवीजन याचिका को स्वीकार करके मामले को गंभीरता से लिया है।

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विवादित बयानों का सिलसिला

कंगना रनौत ने अगस्त 2024 के इंटरव्यू में किसान आंदोलन पर विवादित बयान दिए थे। उन्होंने कहा था कि किसान आंदोलन के दौरान रेप और मर्डर हुए थे। उनका दावा था कि बिल वापसी न होती तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती थी। इन बयानों के बाद वादी अधिवक्ता ने राष्ट्रद्रोह का आरोप लगाया।

वकील रमाशंकर शर्मा ने बताया कि वे स्वयं किसान परिवार से हैं। वह तीस साल तक खेती-किसानी में लगे रहे। उनका कहना है कि कंगना के बयानों से लाखों किसानों की भावनाएं आहत हुई हैं। महात्मा गांधी का भी अपमान हुआ है।

पूर्व में दिए गए विवादित बयान

कंगना रनौत ने नवंबर 2021 में एक बयान में कहा था कि आजादी 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने पर मिली। वादी का दावा है कि इससे महात्मा गांधी और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की अवहेलना हुई। किसान आंदोलन के दौरान भी उनके कई बयान विवादों में रहे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक कंगना ने आंदोलनकारी किसानों की तुलना खालिस्तानी आतंकियों से की थी। उन्होंने लिखा था कि खालिस्तानी आतंकवादी सरकार पर दबाव बना रहे हैं। उन्होंने इंदिरा गांधी का जिक्र करते हुए कहा था कि उन्होंने इन्हें जूते के नीचे कुचल दिया था।

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वादी पक्ष का पृष्ठभूमि

वादी अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने स्वयं को किसान परिवार से बताया है। उनका कहना है कि वह तीन दशक तक खेती-किसानी से जुड़े रहे। उन्होंने कंगना के बयानों को किसान समुदाय के प्रति गंभीर अपमान बताया। उनका मानना है कि यह बयान राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आते हैं।

शर्मा ने कोर्ट में दलील दी कि कंगना के बयानों से समाज में तनाव पैदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के प्रति अपमानजनक टिप्पणी स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने इन तर्कों को गंभीरता से लिया है।

मामले का राजनीतिक संदर्भ

कंगना रनौत हिमाचल प्रदेश के मंडी संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं। उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। फिल्म अभिनेत्री से राजनीति में आई कंगना अक्सर विवादों में रहती हैं। उनके बयानों पर अक्सर राजनीतिक बहस छिड़ जाती है।

यह मामला उनकी सांसद भूमिका और सार्वजनिक बयानों से जुड़ा है। कोर्ट का फैसला भविष्य में सार्वजनिक व्यक्तियों की जिम्मेदारी को परिभाषित कर सकता है। दोनों पक्ष कोर्ट में अपनी-अपनी दलीलें रख चुके हैं। अब अगली सुनवाई का इंतजार है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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