कहीं धूप तो कहीं छांव है
कहीं शहर तो कहीं गाँव है
कहीं अपने तो कहीं पराये
प्रभु ने ऐसे संसार है रचाए
देख मानव कितना बदला रहा
कहीं धूप तो कहीं छाँव दिख रहा
कोई रो रहा कोई हंस रहा
कोई सो रहा कोई जाग रहा
कैसी दुनियाँ हैं कैसे लोग
अपने अपने कर्मो को रहे सभी भोग
कोई जल रहा कोई जला रहा
कोई मिल रहा कोई मिला रहा
तेरे संसार को देख प्रभु धन्य हूँ
यहाँ मतलबी है लोग और स्वार्थी भी
यहाँ नाम के लिये रिश्ते जुड़ते हैं
मतलब निकाल कर सब छुपते हैं
कहीं धूप तो कहीं छाँव हैं
-राम भगत, नेगी किन्नौर, हिमाचल प्रदेश
लेखक राम भगत नेगी मूलतः हिमाचल प्रदेश के किन्नौर के रहने वाले है और उनकी शिक्षा 10 तक हुई है। वर्तमान में डीजे और टेंट का व्यवसाय करते है और विद्युत विभाग के ठेकेदार है। साथ में लेखक समाज सेवा भी करते है। लेखक गिरिराज, वर्तमान अंकुर, गंगा खबर, दक्षिण प्रतीक्षा समाचार आदि छप चुके है। राष्ट्रीय कवि संगम हिमाचल प्रदेश किन्नौर इकाई के अध्यक्ष है।