India News: केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर सभी राजनीतिक दल सहमत हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज के आवास पर 14 मार्च को आग लगी थी, जहां नकदी मिली। सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति ने महाभियोग की सिफारिश की। रिजिजू ने विभिन्न दलों के सांसदों से बात की। यह कदम न्यायपालिका की साख बचाने के लिए उठाया गया है।
सभी दलों की सहमति
रिजिजू ने बताया कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव सांसदों की पहल है, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है। उन्होंने सभी दलों के नेताओं से बात की। छोटे दलों को भी नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। रिजिजू ने कहा कि यह संसद की संयुक्त राय होगी। जस्टिस वर्मा ने नकदी मामले में साजिश का दावा किया, लेकिन जांच समिति ने इसे खारिज किया। यह मामला न्यायपालिका की विश्वसनीयता के लिए चुनौती बना हुआ है।
भ्रष्टाचार पर सख्ती
रिजिजू ने जोर देकर कहा कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार गंभीर मुद्दा है। उन्होंने कहा कि न्याय का मंदिर दागी नहीं हो सकता। सभी दल इसकी गंभीरता समझते हैं। कांग्रेस ने भी महाभियोग का समर्थन किया। रिजिजू ने कहा कि कोई भी दल भ्रष्ट जज का साथ नहीं देगा। यह मामला राजनीति से ऊपर है। जस्टिस वर्मा के खिलाफ कार्रवाई से न्यायपालिका में विश्वास बहाली की उम्मीद है।
महाभियोग की प्रक्रिया
रिजिजू ने महाभियोग की प्रक्रिया समझाई। लोकसभा में 100 और राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर चाहिए। नोटिस लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा सभापति को दिया जाएगा। तीन सदस्यीय जांच समिति बनेगी, जो तीन महीने में रिपोर्ट देगी। इसके बाद संसद में चर्चा होगी। रिजिजू ने कपिल सिब्बल की टिप्पणी को खारिज करते हुए कहा कि संसद व्यक्तिगत एजेंडे से नहीं, बल्कि सामूहिक राय से चलेगी। यह प्रक्रिया संवैधानिक है।
