India News: सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर को देश के 53वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के रूप में पद संभालेंगे। उनका कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक यानी करीब 15 महीने तक चलेगा। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में लंबे कार्यकाल के दौरान उन्होंने कैदियों के अधिकारों और डेरा सच्चा सौदा मामले में सीबीआई जांच जैसे अहम फैसले दिए। उनके नेतृत्व में न्यायपालिका की दिशा तय होगी।
जस्टिस सूर्यकांत ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के रूप में कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए। उन्होंने जेलों में बंद कैदियों के अधिकारों को मजबूत किया। उन्होंने कैदियों की वैवाहिक मुलाकात और कृत्रिम गर्भाधान के अधिकार को मान्यता दी। एक मामले में उन्होंने हत्या के दोषी पिता की बेटी की शिक्षा का जिम्मा भी उठाया।
राम रहीम के खिलाफ कार्रवाई
साल 2017 में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के दोषी ठहराए जाने के बाद हुई हिंसा के बाद जस्टिस सूर्यकांत ने सख्त कदम उठाए। उन्होंने डेरा के अंदर चल रहे वित्तीय लेनदेन और अनियमितताओं की केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराने का आदेश दिया। इस फैसले ने संगठन की आर्थिक गतिविधियों पर पैनी नजर रखी।
हरियाणा के हिसार जिले के पेटवाड़ गांव से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस सूर्यकांत राज्य के पहले व्यक्ति हैं जो देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर पहुंचे हैं। उन्होंने गांव में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने हिसार अदालत में वकालत शुरू की।
न्यायिक दृष्टिकोण और सिद्धांत
जस्टिस सूर्यकांत कामानना है कि हर भारतीय तक बुनियादी सुविधाओं की पहुंच संवैधानिक अधिकार का हिस्सा है। उन्होंने हाईकोर्ट में रहते हुए सार्वजनिक संसाधनों के संरक्षण पर जोर दिया। भूमि अधिग्रहण मामलों में मुआवजे और पीड़ितों के अधिकारों को प्राथमिकता दी। उन्होंने आरक्षण नीतियों और संवैधानिक सिद्धांतों के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश की।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के तौर पर उन्होंने प्रशासनिक सुधारों पर ध्यान दिया। उन्होंने न्याय प्रणाली में सुधार के लिए कई सिफारिशें पेश कीं। उनके कार्यकाल में न्यायिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने के प्रयास हुए। उनके फैसले सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
जस्टिस सूर्यकांत के सीजेआई बनने से सुप्रीम कोर्ट के नेतृत्व में नई दिशा मिलेगी। उनका लंबा न्यायिक अनुभव और मानवीय दृष्टिकोण न्यायपालिका को मजबूत करेगा। उनकी नियुक्ति से हरियाणा समेत पूरे देश में खुशी का माहौल है। न्यायिक इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण क्षण साबित होगा।
