National News: जस्टिस सूर्यकांत सोमवार को भारत के तिरपनवें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। शपथ ग्रहण समारोह में भारत की गणमान्य हस्तियों के अलावा आठ देशों के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश शामिल होंगे। यह समारोह न्यायपालिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण होगा।
नामित प्रधान न्यायाधीश ने शनिवार को कहा कि देशभर की अदालतों में लंबित पांच करोड़ से अधिक मामलों का बोझ घटाना उनकी प्राथमिकता होगी। वह विवाद समाधान के वैकल्पिक तरीके के रूप में मध्यस्थता को बढ़ावा देंगे।
अंतरराष्ट्रीय न्यायिक उपस्थिति
शपथ ग्रहण समारोह में आठ देशों के प्रमुख न्यायाधीश शामिल होंगे। भूटान के मुख्य न्यायाधीश ल्योंपो नॉर्बू शेरिंग इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे। ब्राजील के मुख्य न्यायाधीश एडसन फाचिन भी समारोह में शामिल होंगे।
केन्या के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मार्था कूम और जस्टिस सुसान नजोकी भी आ रही हैं। मलेशिया के संघीय न्यायालय के जज जस्टिस टैन श्री दातुक नालिनी पाथमनाथन समारोह में शामिल होंगे। यह अंतरराष्ट्रीय भागीदारी भारत की न्यायिक प्रतिष्ठा को दर्शाती है।
प्राथमिकताएं और लक्ष्य
जस्टिस सूर्यकांत ने लंबित मामलों के बोझ को कम करने पर जोर दिया है। देश भर की अदालतों में पांच करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं। वह मध्यस्थता को विवाद समाधान का प्रभावी तरीका मानते हैं।
न्यायिक सुधार और तकनीकी एकीकरण उनके एजेंडे में शामिल हैं। वह न्यायपालिका की दक्षता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए नए तरीके अपनाए जाएंगे।
अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि
मॉरीशस की मुख्य न्यायाधीश बीबी रेहाना मुंगली-गुलबुल समारोह में शामिल होंगी। नेपाल के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश मान सिंह राउत भी उपस्थित रहेंगे। नेपाल सुप्रीम कोर्ट की जज सपना प्रधान मल्ला और पूर्व जज अनिल कुमार सिन्हा भी आ रहे हैं।
श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश पी. पद्मन सुरेसन समारोह में शामिल होंगे। श्रीलंका सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एस. थुरैराजा और जस्टिस ए एच एम डी नवाज भी उपस्थित रहेंगे। यह अंतरराष्ट्रीय भागीदारी न्यायिक सहयोग को मजबूत करेगी।
पूर्व प्रधान न्यायाधीश का कार्यकाल
न्यायमूर्ति बीआर गवई रविवार को पदमुक्त हो गए। भारत के बावनवें प्रधान न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल समाप्त हुआ। उन्होंने छह महीने के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फैसले दिए।
गवई ने वक्फ कानून के प्रमुख प्रावधानों पर रोक लगाई। उन्होंने न्यायाधिकरण सुधार कानून को रद्द किया। केंद्र को परियोजनाओं को बाद में हरित मंजूरी देने की अनुमति दी। शुक्रवार उनका अंतिम कार्य दिवस था।
ऐतिहासिक महत्व
न्यायमूर्ति गवई न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन के बाद न्यायपालिका का नेतृत्व करने वाले दूसरे दलित न्यायाधीश थे। उनके कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले हुए। न्यायिक सुधारों पर विशेष ध्यान दिया गया।
नए प्रधान न्यायाधीश का कार्यकाल न्यायपालिका के लिए नए युग का प्रतीक है। उनके सामने कई चुनौतियां हैं। न्यायिक सुधार और मामलों के शीघ्र निपटारे पर ध्यान देना प्रमुख लक्ष्य होगा। अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सहयोग को मजबूत करना भी महत्वपूर्ण होगा।
