शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

जॉब ट्रेनी नीति: हिमाचल सरकार के फैसले पर बेरोजगार युवाओं में रोष, मामराज पुंडीर ने की यह अपील

Share

Himachal News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने अनुबंध नीति को समाप्त कर जॉब ट्रेनी नीति लागू की है। इस फैसले का अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के पूर्व प्रान्त महामंत्री डॉ. मामराज पुंडीर ने कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह नीति बेरोजगार युवाओं और कर्मचारियों के लिए अन्यायपूर्ण है। दो साल की ट्रेनी अवधि के बाद पुनः परीक्षा देना युवाओं के भविष्य को अनिश्चित करता है।

कर्मचारियों और युवाओं में असंतोष

डॉ. मामराज पुंडीर ने कहा कि हिमाचल सरकार कर्मचारियों के हितों की रक्षा का वादा कर सत्ता में आई थी। अब जॉब ट्रेनी नीति लागू कर युवाओं का शोषण कर रही है। इस नीति से सरकारी नौकरी पाने वाले युवा भी स्थायी कर्मचारी नहीं माने जाएंगे। प्रशासनिक अधिकारी अपनी स्थिति सुरक्षित रखने में सफल रहे, लेकिन कर्मचारियों का भविष्य खतरे में है। यह नीति अनिश्चितता और अस्थिरता को बढ़ावा देगी।

यह भी पढ़ें:  हिमाचल प्रदेश: आपदा के बाद नदी-नालों से निर्माण की दूरी के सख्त नियम, ततीमे में जिक्र जरूरी

संगठनों पर चमचागिरी का आरोप

डॉ. पुंडीर ने प्रदेश के 85 से अधिक संगठनों पर चमचागिरी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ये संगठन नीति के खिलाफ आवाज नहीं उठा रहे। यह नीति युवाओं के सपनों को कुचल रही है। दो साल की मेहनत के बाद दोबारा परीक्षा का प्रावधान अतार्किक है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठता से सेवा में आए कर्मचारियों को भी परीक्षा देना दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे बेरोजगारों में निराशा बढ़ रही है।

सरकार से नीति रद्द करने की मांग

डॉ. मामराज पुंडीर ने हिमाचल सरकार से जॉब ट्रेनी नीति पर पुनर्विचार करने की मांग की। उन्होंने मुख्यमंत्री से पुरानी व्यवस्था को यथावत रखने का आग्रह किया। उनका कहना है कि गलत सलाहकार सरकार को गुमराह कर रहे हैं। इस नीति से SMC अध्यापकों का भविष्य भी अनिश्चित हो गया है। बेरोजगार युवा, जो वर्षों से नौकरी का इंतजार कर रहे हैं, इस नीति से प्रभावित होंगे।

यह भी पढ़ें:  हिमाचल प्रदेश: राजपूत महासभा ने आरक्षण पर उठाए सवाल, सामान्य वर्ग आयोग के पुनर्गठन की मांग

कर्मचारी संगठनों से एकजुट होने की अपील

डॉ. पुंडीर ने कर्मचारी संगठनों से एकजुट होकर इस नीति के खिलाफ आवाज उठाने को कहा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि संगठन चुप रहे, तो उनका अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। यह नीति लाखों युवाओं और सरकारी सेवा के ढांचे पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी। उन्होंने सरकार से जनहित में तत्काल कार्रवाई करने और नीति को रद्द करने की मांग की है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

Read more

Related News