शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

जापान ने इतिहास रचा: दुनिया में पहली बार वारशिप से किया इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेलगन का सफल टेस्ट, जानें क्यों खास है यह हथियाए

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Tokyo News: जापान ने दुनिया में पहली बार अपने एक नौसैनिक जहाज से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेलगन के सफल परीक्षण का दावा किया है। यह ऐतिहासिक उपलब्धि सैन्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग मानी जा रही है। जापान के रक्षा मंत्रालय की एजेंसी ATLA ने इसकी पुष्टि करते हुए चार तस्वीरें भी जारी की हैं।

जापान की अधिग्रहण, तकनीक और लॉजिस्टिक्स एजेंसी (ATLA) के अनुसार यह परीक्षण जून से जुलाई के बीच टेस्ट शिप JS Asuka पर किया गया। इस दौरान समुद्र में तैनात एक टारगेट शिप पर रेलगन से फायरिंग की गई। ATLA ने इसे दुनिया में पहली सफल घटना बताया है।

रेलगन तकनीक क्या है?

यह हथियार पारंपरिक तोपों से बिल्कुल अलग काम करता है। रेलगन बारूद के बजाय बिजली की शक्ति से प्रोजेक्टाइल दागता है। इसकी गोलाबारी की गति अविश्वसनीय रूप से अधिक होती है। जापान की इस रेलगन की गति मैक 6.5 यानी आवाज की रफ्तार से साढ़े छह गुना तक बताई जा रही है।

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इसका मतलब है कि यह प्रोजेक्टाइल 8,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दुश्मन को निशाना बना सकता है। एक और खास बात यह है कि 120 बार लगातार फायरिंग के बाद भी इसकी बैरल की स्पीड में कोई कमी नहीं आई।

वैश्विक होड़ में जापान आगे

रेलगन तकनीक को विकसित करने की होड़ में कई देश शामिल हैं। चीन भी इस पर तेजी से काम कर रहा है और उसने लगातार फायरिंग के टेस्ट किए हैं। अमेरिका ने भी इस प्रोजेक्ट पर अरबों डॉलर खर्च किए थे। लेकिन उसने साल 2021 में तकनीकी चुनौतियों के कारण इसे रोक दिया था।

अब जापान इस मुकाम पर पहुंच गया है कि वह इस हथियार को वास्तविक तैनाती के करीब ले आया है। यह उनकी तकनीकी क्षमता को दर्शाता है। यह सफलता जापान को रक्षा क्षेत्र में एक बड़ा फायदा दे सकती है।

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खास है यह हथियार

रक्षा विशेषज्ञ मसाशी मुरानो के अनुसार यह तकनीक बेहद खास है। उच्च गति वाली एंटी-शिप मिसाइलों को रोकना पारंपरिक मिसाइलों से बहुत मुश्किल है। रेलगन इस समस्या का एक कारगर समाधान हो सकता है। इसके प्रोजेक्टाइल न सिर्फ बेहद तेज होते हैं बल्कि सस्ते भी हैं।

एक एयर डिफेंस मिसाइल की लागत करोड़ों रुपये होती है। वहीं रेलगन से फायरिंग की लागत अपेक्षाकृत बहुत कम आती है। इसके अलावा एयरबर्स्ट म्युनिशन विकसित किए जा रहे हैं जो हवा में फटकर मिसाइलों और ड्रोन को नष्ट कर सकते हैं।

जापान इस तकनीक को सिर्फ नौसैनिक जहाजों तक सीमित नहीं रखना चाहता। उसकी योजना इसे जमीन पर भी तैनात करने की है। इससे दुश्मन की तोपें और तटीय सुरक्षा को मजबूत करने में मदद मिलेगी। ATLA अब प्रोजेक्टाइल की सटीकता और फायर कंट्रोल सिस्टम को और बेहतर बना रहा है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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