Srinagar News: जम्मू-कश्मीर में शादी को लेकर सामाजिक सोच में बड़ा बदलाव आया है। अब तक विवाह को पारिवारिक फैसला माना जाता था, लेकिन अब महिलाएं अपने जीवन के इस बड़े निर्णय को स्वयं ले रही हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य में लगभग सत्तावन प्रतिशत महिलाएं अविवाहित हैं।
इनमें विधवा और तलाकशुदा महिलाएं भी शामिल हैं। इस बदलाव के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण सामने आए हैं। शिक्षा और करियर को प्राथमिकता देना सबसे प्रमुख कारण है।
शादी की उम्र में वृद्धि
पहले कम उम्र में शादी आम बात थी, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। महिलाओं की शादी की औसत उम्र बढ़कर चौबीस साल हो गई है। राष्ट्रीय औसत बाईस साल है। 1990 के दशक में पलायन से पहले यह औसत उम्र इक्कीस साल थी।
शिक्षा और करियर पर बढ़ता ध्यान इस बदलाव का मुख्य कारण है। युवा अब शादी से पहले अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहते हैं। स्थिर करियर बनाने पर भी जोर दिया जा रहा है।
आर्थिक कारण और बेरोजगारी
आर्थिक सुरक्षा शादी में देरी की एक बड़ी वजह है। लंबे समय तक राजनीतिक अस्थिरता ने रोजगार के अवसर सीमित कर दिए हैं। युवाओं के लिए आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
शादी जैसे समारोहों में काफी खर्च आता है। दहेज जैसी सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करना मुश्किल हो रहा है। पुरुष और महिलाएं दोनों आर्थिक रूप से सक्षम होने के बाद ही शादी करना चाहते हैं।
शिक्षा और करियर को प्राथमिकता
युवा महिलाएं और पुरुष अब शादी से ज्यादा पढ़ाई और करियर को महत्व दे रहे हैं। उनका मानना है कि शादी व्यक्तिगत विकास और स्वतंत्रता में बाधक हो सकती है। महिलाओं को करियर और सामाजिक उम्मीदों के बीच संतुलन बनाना पड़ता है।
इस दोहरी चुनौती ने शादी के निर्णय को प्रभावित किया है। महिलाएं अब आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना चाहती हैं। वे शादी से पहले अपने पैरों पर खड़ा होना जरूरी समझती हैं।
पारंपरिक दबाव और सामाजिक बदलाव
पारंपरिक विवाह प्रणाली अभी भी परिवारों पर दबाव डालती है। जाति, आर्थिक स्थिति और दहेज जैसे factors अभी भी महत्वपूर्ण हैं। हालांकि इन प्रथाओं के खिलाफ जागरूकता बढ़ रही है।
महिलाएं अब सामाजिक अपेक्षाओं को दरकिनार कर रही हैं। वे अपनी खुशी और पसंद को प्राथमिकता दे रही हैं। कोई भी कीमत देकर शादी करने के बजाय वे अपनी शर्तों पर जीवनसाथी चुनना चाहती हैं। यह एक सकारात्मक सांस्कृतिक बदलाव है।
