Jammu & Kashmir News: राजौरी जिले की रहने वाली भावना कैसर ने एक नया इतिहास रच दिया है। उन्होंने न्यायिक सेवा परीक्षा पास कर जिले की पहली महिला जज बनने का गौरव हासिल किया। केवल तीस वर्ष की उम्र में यह उपलब्धि हासिल करने वाली भावना ने साबित कर दिया कि साधारण परिवारों से आई बेटियां भी बड़े मुकाम पा सकती हैं। उनके माता-पिता दर्जी का काम करते हैं।
भावना ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूलों से पूरी की। इसके बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई करने का निर्णय लिया। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। वर्ष 2018 में बीए-एलएलबी और 2019 में एलएलबी की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने शोधकार्य भी शुरू किया।
शैक्षणिक यात्रा और शोधकार्य
पंजाब विश्वविद्यालय के विधि विभाग में उन्होंने पीएचडी शुरू की। उनका शोध विषय भारतीय संविधान के तहत परिसीमन संबंधी कानून था। इसमें जम्मू-कश्मीर का विशेष संदर्भ शामिल था। प्रोफेसर देविंदर सिंह के निर्देशन में उन्होंने यह शोधकार्य आरंभ किया। इससे उनकी कानूनी समझ और मजबूत हुई।
भावना के अनुसार उनके माता-पिता ने हमेशा उनका हौसला बढ़ाया। उन्होंने बच्चों को संसाधनों का सदुपयोग करना सिखाया। भावना को बचपन से ही स्वावलंबी बनने की प्रेरणा मिली। उन्हें डर था कि शादी के बाद वे किसी पर निर्भर न हो जाएं। इसलिए उन्होंने अपने लिए दो वैकल्पिक योजनाएं बनाईं।
कैरियर की तैयारी और संघर्ष
उनकी पहली योजना अध्यापन को चुनने की थी। दूसरी योजना न्यायिक सेवाओं में जाने की थी। इसी क्रम में उन्होंने यूजीसी नेट की परीक्षा भी पास की। उन्होंने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में रीडर के पद पर भी कार्य किया। इस अनुभव ने उन्हें न्यायिक प्रक्रियाओं की गहरी समझ दी।
भावना के पिता ने उन्हें जुनून के साथ काम करना सिखाया। उनका मानना था कि काम में पूर्णता से ज्यादा जरूरी जुनून होता है। यही जुनून भावना के संपूर्ण सफर की ताकत बना। पंजाब विश्वविद्यालय ने न केवल उन्हें शैक्षणिक मजबूती दी बल्कि जीवनशैली भी सिखाई।
वैवाहिक जीवन और भविष्य की योजनाएं
विश्वविद्यालय पुस्तकालय में अध्ययन के दौरान भावना की मुलाकात रूबी चौधरी से हुई। रूबी हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के रिवालसर के रहने वाले हैं। वे भी विधि विभाग से पीएचडी कर रहे हैं। इसी वर्ष दोनों ने विवाह के बंधन में बंधने का निर्णय लिया।
भावना की यह सफलता पूरे क्षेत्र के लिए एक मिसाल बन गई है। उनकी कहानी से युवा विशेषकर लड़कियों को प्रेरणा मिलती है। यह साबित करती है कि संसाधनों की कमी सफलता में बाधक नहीं बन सकती। दृढ़ संकल्प और निरंतर प्रयास से हर लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
उनकी यह उपलब्धि न्यायपालिका में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का भी संकेत है। देश भर में महिला न्यायाधीशों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। यह न्यायिक व्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। भावना जैसे युवा इस परिवर्तन के प्रमुख वाहक साबित हो रहे हैं।
