शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

जम्मू-कश्मीर: हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में काम कर रहे 29 लोगों पर आतंकी लिंक का आरोप, पुलिस ने दी चेतावनी

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Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में एक बड़ा विवाद सामने आया है। यहां निर्माणाधीन 850 मेगावाट रतले हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट में काम कर रहे 29 लोगों पर पुलिस की नजर है। पुलिस का कहना है कि इन लोगों की आपराधिक पृष्ठभूमि या आतंकी संपर्क है। इससे परियोजना की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इस मामले में स्थानीय विधायक और कंपनी के बीच भी तनाव देखा जा रहा है।

एक नवंबर को किश्तवाड़ पुलिस ने मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को एक पत्र लिखा। पुलिस ने कंपनी को आगाह किया कि परियोजना में काम कर रहे 29 व्यक्ति संदिग्ध हैं। इनमें से पांच पर आतंकी संपर्क का आरोप है। बाकी 24 की आपराधिक पृष्ठभूमि चिन्हित की गई है। पुलिस ने इनकी भर्ती पर पुनर्विचार की सलाह दी है।

पुलिस की चिंता और सुरक्षा जोखिम

किश्तवाड़के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नरेश सिंह ने पत्र में स्पष्ट चेतावनी दी। उन्होंने लिखा कि ये हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना राष्ट्रीय महत्व की है। ऐसे रणनीतिक ढांचे दुश्मनों के लिए आकर्षक लक्ष्य होते हैं। संदिग्ध पृष्ठभूमि वाले लोगों की भर्ती से गंभीर सुरक्षा जोखिम पैदा हो सकता है। पुलिस ने कंपनी को इन कर्मचारियों पर कड़ी नजर रखने को कहा है।

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पुलिस ने यह जानकारी स्थानीय निवासियों की रूटीन सत्यापन प्रक्रिया में हासिल की। विभिन्न थानों से प्राप्त रिपोर्ट में इन 29 लोगों के नाम शामिल थे। पांच आतंकी संपर्क वाले लोगों में एक पुराने आतंकी के तीन रिश्तेदार शामिल हैं। एक संदिग्ध ओवरग्राउंड वर्कर का बेटा और एक सरेंडर आतंकी का बेटा भी इस सूची में है।

आपराधिक रिकॉर्ड वाले अन्य कर्मचारी

एक व्यक्तिपर पानी के स्रोत को दूषित करने का आरोप है। दस्तावेज जालसाजी का मामला भी उसके खिलाफ दर्ज है। शेष तेईस लोगों के खिलाफ विभिन्न आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें आपराधिक अतिक्रमण और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे आरोप शामिल हैं। ये सभी कर्मचारी जूनियर पदों पर कार्यरत हैं।

भाजपा की किश्तवाड़ विधायक शगुन परिहार ने इस मामले पर सवाल उठाए थे। उन्होंने परियोजना में मजदूरों की भर्ती प्रक्रिया पर चिंता जताई थी। पुलिस का पत्र आने के बाद उन्होंने कहा कि यह उनकी शिकायतों का समर्थन करता है। विधायक का आरोप है कि कंपनी ने भर्ती में पारदर्शिता नहीं बरती।

कंपनी का पक्ष और विवाद

मेघाइंजीनियरिंग के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर हरपाल सिंह ने विधायक पर आरोप लगाया। उनका कहना है कि शगुन परिहार चुनाव जीतने के बाद से अपने लोगों को भर्ती कराने का दबाव बना रही हैं। सितंबर में दो सौ मजदूरों की छंटनी के बाद यह तनाव और बढ़ गया। कंपनी ने स्थानीय स्तर पर चौदह सौ से अधिक लोगों को नौकरी दी है।

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हरपाल सिंह ने स्वीकार किया कि उन्हें पुलिस का चेतावनी पत्र मिला था। कंपनी ने पिछले हफ्ते ही इसका जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि वे संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखेंगे और पुलिस को सूचित करेंगे। लेकिन इन कर्मचारियों को बिना कानूनी आधार के निकालना मुश्किल है।

कानूनी दुविधा और भर्ती प्रक्रिया

कंपनीप्रबंधन ने एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया है। अगर किसी का रिश्तेदार आतंकी है तो उस व्यक्ति का क्या अपराध? जब तक अदालत में किसी के खिलाफ आरोप साबित नहीं होते, तब तक कार्रवाई का आधार क्या होगा? बिना ठोस सबूत के नौकरी से निकालने पर कंपनी पर मुकदमे का खतरा है।

इस पूरे मामले ने एक गंभीर बहस छेड़ दी है। राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यक्तिगत अधिकारों के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए? बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में कर्मचारियों की पृष्ठभूमि की जांच कितनी कठोर होनी चाहिए? ये सवाल अब चर्चा का केंद्र बन गए हैं। इस घटना का असर अन्य परियोजनाओं पर भी पड़ सकता है।

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