Health News: सर्दी के मौसम में गुड़ का सेवन सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। खांसी होने पर भी गुड़ का सही तरीके से इस्तेमाल लाभकारी हो सकता है। आयुर्वेदिक डॉक्टर रोबिन शर्मा ने इस संबंध में एक विशेष नुस्खा साझा किया है।
उनके अनुसार गुड़ से बना काढ़ा सर्दी-जुकाम और खांसी में बेहद प्रभावी होता है। यह गले में जमे कफ को निकालने में मदद कर सकता है। इसके लिए विशेष काढ़ा बनाने की सलाह दी जाती है।
काढ़ा बनाने की सामग्री
इस आयुर्वेदिक काढ़े को बनाने के लिए कुछ सामान्य सामग्रियों की आवश्यकता होती है। एक छोटा गुड़ का टुकड़ा लेना होगा। चौथाई इंच अदरक की आवश्यकता होगी। चार से पांच काली मिर्च के दाने लेने होंगे।
पांच से सात तुलसी के ताजे पत्ते चाहिए होंगे। एक गिलास पानी की भी आवश्यकता होगी। यह सभी सामग्री आसानी से घर में उपलब्ध हो जाती है। काढ़ा बनाने की प्रक्रिया बेहद सरल है।
काढ़ा बनाने की विधि
सबसे पहले गुड़ के टुकड़े को हल्का कूट लें। अदरक को छोटे टुकड़ों में काट लें। काली मिर्च और तुलसी के पत्तों को भी तैयार कर लें। अब सभी सामग्रियों को एक साथ मिला दें।
इन्हें एक गिलास पानी में डालकर गैस पर रख दें। मिश्रण को उबलने दें जब तक पानी आधा न रह जाए। गैस बंद करके काढ़े को छान लें। इसे गुनगुना ही खाली पेट पिएं।
स्वास्थ्य लाभ
यह काढ़ा रोज सुबह खाली पेट पीने से गले का जमा कफ निकलता है। खांसी में तुरंत आराम मिलता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। सर्दियों में यह विशेष रूप से लाभकारी होता है।
गुड़ और अदरक दोनों शरीर को गर्मी प्रदान करते हैं। इनमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल गुण भी मौजूद होते हैं। यह गले की सूजन को कम करने में सहायक है।
अन्य घटकों के लाभ
काली मिर्च का तीखापन गले को साफ करने में मदद करता है। यह श्वसन तंत्र के लिए उपयोगी होती है। तुलसी सांस संबंधी समस्याओं में प्राकृतिक आराम देती है। यह पुरानी खांसी में भी लाभदायक है।
सभी घटक मिलकर एक शक्तिशाली औषधि का काम करते हैं। यह काढ़ा बच्चों और बड़ों दोनों के लिए उपयोगी है। स्वाद में यह थोड़ा कड़वा हो सकता है। लेकिन स्वास्थ्य लाभ के लिए इसका सेवन फायदेमंद है।
सावधानियां
अगर खांसी कई दिनों तक बनी रहती है तो डॉक्टर से सलाह लें। बुखार आने पर घरेलू उपायों पर निर्भर न रहें। सांस लेने में तकलीफ होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। गंभीर स्थितियों में यह नुस्खा पर्याप्त नहीं हो सकता।
मधुमेह के रोगियों को गुड़ का सेवन सावधानी से करना चाहिए। किसी भी घटक से एलर्जी होने पर इसका उपयोग न करें। गर्भवती महिलाओं को चिकित्सक की सलाह के बाद ही सेवन करना चाहिए।
