Sriharikota News: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने आज एक बार फिर इतिहास रच दिया है। इसरो का सबसे ताकतवर रॉकेट ‘बाहुबली’ (LVM3) अंतरिक्ष के लिए रवाना हो गया है। यह रॉकेट अपने साथ अमेरिकी सैटेलाइट ‘ब्ल्यूबर्ड-ब्लॉक-2’ लेकर गया है। हालांकि, लॉन्चिंग से ठीक पहले वैज्ञानिकों की सांसें अटक गई थीं। मलबे के खतरे को देखते हुए इसरो ने उड़ान में 90 सेकंड की देरी की। इसके बाद रॉकेट ने सफलतापूर्वक आसमान का सीना चीर दिया।
90 सेकंड की देरी का सच
यह मिशन सुबह 8:54 बजे लॉन्च होना था। लेकिन इसरो को उड़ान ऐन वक्त पर रोकनी पड़ी। अधिकारियों ने बताया कि रॉकेट के रास्ते में अंतरिक्ष मलबे या अन्य उपग्रहों के आने का डर था। किसी भी संभावित टक्कर को टालने के लिए 90 सेकंड का इंतजार किया गया। रास्ता साफ होते ही ‘बाहुबली’ ने सतीश धवन स्पेस सेंटर से उड़ान भरी।
बाहुबली का सबसे भारी मिशन
इसरो के लिए यह मिशन तकनीक और वजन दोनों लिहाज से बड़ा है। यह रॉकेट 6,100 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट लेकर गया है। यह ‘लो अर्थ ऑर्बिट’ (LEO) में भेजा गया अब तक का सबसे भारी पेलोड है। इससे पहले इसरो ने सीएमएस-03 लॉन्च किया था। एलवीएम-3 भारत का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है, इसलिए इसे ‘बाहुबली’ नाम दिया गया है।
अब सीधे सैटेलाइट से चलेगा मोबाइल
यह लॉन्चिंग मोबाइल नेटवर्क की दुनिया बदल देगी। यह अमेरिकी कंपनी एएसटी स्पेसमोबाइल का सैटेलाइट है। इसका मकसद सीधे आपके स्मार्टफोन पर हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाना है। यह दुनिया का पहला अंतरिक्ष-आधारित सेलुलर ब्रॉडबैंड नेटवर्क होगा। इससे जमीन पर टावर न होने पर भी 4G और 5G वॉयस कॉल और वीडियो संभव होंगे।
मंदिर में इसरो प्रमुख की पूजा
यह मिशन इसरो की कमर्शियल शाखा ‘एनएसआईएल’ (NSIL) के तहत पूरा किया गया। लॉन्च से पहले इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने परंपरा निभाई। उन्होंने मंगलवार को तिरुमाला के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना की। यह एलवीएम-3 रॉकेट की छठी सफल परिचालन उड़ान है। लॉन्चिंग के करीब 15 मिनट बाद सैटेलाइट रॉकेट से अलग हो गया।
