Haryana News: हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या का मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस घटना को जातिगत भेदभाव से जोड़ते हुए बीजेपी-आरएसएस पर निशाना साधा है। इसी बीच चंडीगढ़ पुलिस ने अधिकारी के सुसाइड नोट में नाम लिखे गए डीजीपी शत्रुजीत कपूर समेत 13 वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर दिए अपने बयान में कहा कि हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या उस गहराते सामाजिक ज़हर का प्रतीक है, जो जाति के नाम पर इंसानियत को कुचल रहा है । उन्होंने आगे कहा कि जब एक आईपीएस अधिकारी को उसकी जाति के कारण अपमान और अत्याचार सहने पड़ें, तो आम दलित नागरिक की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
सुसाइड नोट में लिखे थे 13 अधिकारियों के नाम
मामले में तेजी से हुई कार्रवाई के तहत चंडीगढ़ पुलिस ने सेक्टर-11 थाने में एफआईआर दर्ज की है। इस एफआईआर में हरियाणा पुलिस के वर्तमान डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया सहित कुल 13 अधिकारियों के नाम शामिल हैं। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ बीएनएस की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने अपने सुसाइड नोट में आरोप लगाया था कि वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें मानसिक प्रताड़ना, जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न का शिकार बनाया। इस नोट को पुलिस ने घटनास्थल से बरामद किया था और इसे ही मामले की जांच का आधार बनाया गया है। पुलिस अब इस नोट की लिखावट और इसमें शामिल आरोपों की विस्तृत जांच कर रही है।
पत्नी ने दर्ज कराई थी शिकायत, सीएम से की थी मुलाकात
दिवंगत आईपीएस अधिकारी की पत्नी और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में उन्होंने डीजीपी और एसपी रोहतक पर उनके पति को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और जातिगत भेदभाव का शिकार बनाने का आरोप लगाया था। उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सैनी को लिखित पत्र भेजकर मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की थी।
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने मामले में सक्रिय हस्तक्षेप करते हुए दिवंगत आईपीएस अधिकारी के परिवार से मुलाकात की। उन्होंने परिवार को भरोसा दिलाया कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से होगी। इस मुलाकात के बाद ही पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई पूरी की। आईएएस अमनीत कुमार ने पति का पोस्टमार्टम तब तक न कराने की हड़ताल भी की थी, जब तक आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज नहीं हो जाता।
कांग्रेस ने उठाए सवाल, सामाजिक न्याय की मांग
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के वरिष्ठ दलित आईपीएस अधिकारी की आत्महत्या सामाजिक अन्याय और संवेदनहीनता का भयावह प्रमाण है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के मनुवादी तंत्र ने दलितों और वंचित वर्गों के लिए अभिशाप पैदा कर दिया है।
राहुल गांधी ने अपने बयान में कहा कि पूरन कुमार की मौत, रायबरेली में हरिओम वाल्मीकि की हत्या और सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का अपमान जैसी घटनाएं बताती हैं कि वंचित वर्ग के खिलाफ अन्याय अपनी चरम सीमा पर है। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष केवल पूरन कुमार का नहीं, बल्कि हर उस भारतीय का है जो संविधान, समानता और न्याय में विश्वास रखता है।
पुलिस ने शुरू की विस्तृत जांच
चंडीगढ़ पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने घटनास्थल से सुसाइड नोट के अलावा अन्य सबूत भी जब्त किए हैं। इनमें वह हथियार भी शामिल है जिससे अधिकारी ने खुद को गोली मारी थी। सीएफएसएल टीम ने मौके से फोरेंसिक सबूत एकत्र किए हैं और पूरी वीडियोग्राफी की है।
सूत्रों के अनुसार सुसाइड नोट में अधिकारी ने लिखा था कि उन्हें हरियाणा के संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अगस्त 2020 से लगातार जाति आधारित भेदभाव और मानसिक उत्पीड़न का शिकार बनाया गया। नोट में उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके खिलाफ दुर्भावनापूर्ण तरीके से छद्म शिकायतें दर्ज कराई गईं और उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया।
अधिकारी का विवादों से रहा था पुराना नाता
वाई पूरन कुमार ने अपने करियर के दौरान कई बार सिस्टम और वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्होंने जूनियर अधिकारियों की पदोन्नति, सरकारी आवासों के आवंटन और भेदभावपूर्ण रवैये के मुद्दों को लेकर शिकायतें दर्ज कराई थीं। रोहतक में आईजी रहते हुए उन्होंने मनीषा हत्याकांड की जांच को नई दिशा दी थी, जिसके बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया।
उन्होंने हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद, पूर्व गृह सचिव राजीव अरोड़ा और पूर्व डीजीपी मनोज यादव के खिलाफ भी आवाज उठाई थी। लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने तत्कालीन मुख्य निर्वाचन अधिकारी के खिलाफ भी शिकायत दर्ज कराई थी। उनका कहना था कि केवल अनुसूचित जाति के अधिकारियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
