Mumbai News: आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के मुख्य निवेश रणनीतिकार एस. नरेन ने निवेशकों को एक महत्वपूर्ण चेतावनी जारी की है। उन्होंने कहा है कि मौजूदा समय में सोना और चांदी में निवेश करना समझदारी का फैसला नहीं हो सकता है। नरेन ने कुछ महीने पहले शेयर बाजार में गिरावट की सही भविष्यवाणी की थी।
नरेन का मानना है कि सोने और चांदी ने पिछले एक साल में शानदार प्रदर्शन किया है। लेकिन यही कारण है जो उन्हें अब जोखिम भरा बना रहा है। उन्होंने निवेश के मूल नियम “सही समय पर सही परिसंपत्ति चुनना” की ओर ध्यान आकर्षित किया।
ऊंचाई पर निवेश का जोखिम
निवेश विशेषज्ञ ने कहा कि अधिकांश लोग तब निवेश करते हैं जब कोई परिसंपत्ति पहले ही अपने शिखर पर पहुंच चुकी होती है। इसका परिणाम यह होता है कि तेजी का लालच नुकसान में बदल जाता है। नरेन ने इस प्रवृत्ति को “एंटी-एसेट अलोकेशन” का नाम दिया है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि दो-ढाई साल पहले चांदी में निवेश करना समझदारी होती। उस समय कीमतें निचले स्तर पर थीं। लेकिन वर्तमान में ऊंचे स्तर पर निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है।
परंपरागत मापदंडों का अभाव
नरेन ने बताया कि सोना और चांदी से कोई ब्याज या लाभांश प्राप्त नहीं होता है। इन्हें पारंपरिक वित्तीय मापदंडों जैसे पी/ई अनुपात से भी नहीं मापा जा सकता। इसलिए इनमें निवेश का निर्णय केवल कीमत के रुझानों पर आधारित होता है।
लोग वर्तमान में सोना-चांदी इसलिए खरीद रहे हैं क्योंकि इन्होंने हाल ही में शेयर बाजार से बेहतर रिटर्न दिया है। लेकिन यह सोच सबसे बड़ा जोखिम पैदा कर सकती है।
निवेश की सही रणनीति
विशेषज्ञ का सुझाव है कि यदि सोना या चांदी में निवेश करना ही है तो इसे पोर्टफोलियो का एक छोटा हिस्सा बनाएं। बहु-परिसंपत्ति रणनीति के तहत निवेश करने से संतुलन बना रहता है। यह निवेश को सुरक्षित बनाने में मदद करता है।
नरेन का मानना है कि निवेश केवल संख्याओं का खेल नहीं है। यह व्यवहार का भी विषय है। एक सफल निवेशक वह होता है जो गिरती कीमतों पर खरीदता है और बढ़ती कीमतों पर बेचता है।
आम निवेशकों की गलतियां
अधिकांश निवेशक उत्साह में ऊंचे दामों पर खरीदारी करते हैं। घबराहट में वे कम दामों पर बेच देते हैं। यह आदत लंबे समय में नुकसान का कारण बनती है। नरेन की यह सलाह उन निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है जो वर्तमान बाजार रुझानों से प्रभावित हो रहे हैं।
निवेश के निर्णय लेते समय सतर्कता और धैर्य बनाए रखना आवश्यक है। बाजार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित हुए बिना दीर्घकालिक रणनीति पर ध्यान देना चाहिए।
